मैं, प्रोफेसर कर्तिक रावल, एक ज्योतिषी और वास्तु शास्त्री, इस लेख में शेषनाग कालसर्प दोष के महत्व, इसके प्रभावों और इससे राहत पाने के उपायों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ। यह दोष जातक के जीवन में कई समस्याएँ उत्पन्न करता है, जो मानसिक, दैहिक और भौतिक कठिनाइयों के रूप में प्रकट होती हैं। सही ज्ञान और उपायों के माध्यम से, जातक अपनी जीवन यात्रा को आसान बना सकते हैं।
शेषनाग कालसर्प दोष का महत्व
दोष का निर्माण
शेषनाग कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब कुंडली के बारहवें घर में राहू, छठे घर में केतु और बाकी सभी ग्रह इन दोनों के मध्य स्थित होते हैं। यह स्थिति जातक के जीवन को प्रभावित करती है और अनेक समस्याओं का कारण बनती है। इस दोष का नाम "शेषनाग" इसलिए रखा गया है क्योंकि यह शेषनाग के समान अनंत और निरंतर समस्याओं का निर्माण करता है।
शेषनाग कालसर्प दोष के प्रभाव
1. गुप्त दुश्मन
शेषनाग कालसर्प दोष का सबसे प्रमुख प्रभाव गुप्त दुश्मनों की संख्या में वृद्धि है। जातक हमेशा यह महसूस करता है कि उसके चारों ओर लोग उसकी सफलता को देखकर जलते हैं और उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं। इससे मानसिक तनाव और चिंता बढ़ती है।
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2. स्वास्थ्य समस्याएँ
जातक इस दोष के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकता है, जैसे:
बीमारियों की उपस्थिति: जातक अक्सर बीमार रहता है और उसकी बीमारी गंभीर हो सकती है।
सर्जरी की आवश्यकता: बार-बार अस्पताल में भर्ती होना और सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
3. दूर रहना
इस दोष के कारण जातक को अक्सर अपने जन्म स्थान से दूर रहना पड़ता है। यह स्थिति न केवल मानसिक रूप से कठिन होती है, बल्कि यह पारिवारिक रिश्तों को भी प्रभावित करती है।
4. कानूनी परेशानियाँ
शेषनाग कालसर्प दोष के कारण जातक को गलत कार्यों में भाग लेने का प्रलोभन मिल सकता है, जिससे जेल यात्रा की संभावना भी बनती है। यह स्थिति न केवल जीवन को संकट में डालती है, बल्कि यह जातक की छवि को भी खराब कर सकती है।
शेषनाग कालसर्प दोष से राहत पाने के उपाय
इस दोष से राहत पाने के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय न केवल मानसिक शांति लाते हैं, बल्कि जीवन में सुधार भी करते हैं।
1. नित्य शिव उपासना
उपाय: प्रतिदिन भगवान शिव की उपासना करें और अभिषेक करें।
विशेष: महामृत्युंजय मंत्र का जाप (18 माला) करना बहुत लाभकारी होता है।
2. नाग-प्रतिमा और शिवलिंग
उपाय: काले पत्थर की नाग-प्रतिमा और शिवलिंग बनवाकर उसका मंदिर बनवाएं।
विशेष: प्राण-प्रतिष्ठा कराना आवश्यक है।
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3. ताँवे का सर्प
उपाय: किसी सिद्ध शिवलिंग के नाप से ताँवे का सर्प प्राणप्रतिष्ठा कराना।
विशेष: इसे ब्रह्ममुहूर्त में शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
4. मृत सर्प का संस्कार
उपाय: यदि जातक को किसी मृत साँप का मिलना हो, तो उसका दाह-संस्कार करें।
विशेष: घी और रक्त-चंदन से संस्कार करके तेरवीं आदि वैदिक रीति से करना आवश्यक है।
5. नागवली अनुष्ठान
उपाय: उचित मुहुर्त में उज्जैन या नाशिक में जाकर वैदिक-तंत्र विधी से नागवली अनुष्ठान करवाएं।
विशेष: वहाँ पर लघुरुद्र अभिषेक करना बहुत लाभकारी होता है।
6. नाग-विषहरण मंत्र
उपाय: मोर या गरुड़ के चित्र पर "नाग-विषहरण" मंत्र लिखकर स्थापित करें।
विशेष: उसी मंत्र का 18000 बार जाप करने के बाद दशांश होम, तर्पण, मार्जन आदि करना चाहिए।
7. अभिमंत्रित नाग-गरुड़ बूटी
उपाय: अपने घर में सही तंत्र विधी से अभिमंत्रित नाग-गरुड़ बूटी को स्थापित करें।
विशेष: इस बूटी का टुकड़ा ताबीज के रूप में धारण करना भी लाभकारी होता है।
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8. कालसर्प लौकेट
उपाय: गोमेद और लहसुनिया रत्न को पंचधातु में लौकेट बनवाएं।
विशेष: राहु और केतु के मंत्रों का जाप करने के बाद इस लौकेट को हृदय पर धारण करें।
शेषनाग कालसर्प दोष एक गंभीर ज्योतिषीय योग है, जो जातक के जीवन को प्रभावित करता है। लेकिन सही उपायों के माध्यम से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। यदि जातक धैर्यपूर्वक उपाय करें और सकारात्मकता लाने का प्रयास करें, तो वे इस दोष से उबर सकते हैं। जीवन में संतोष और सफलता के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है, जिससे जातक की जीवन यात्रा सरल और सुखद हो सके।
इस लेख में हमने शेषनाग कालसर्प दोष के प्रभाव और उपायों पर चर्चा की है। सही ज्ञान और उपायों से इस दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है, जिससे जातक अपने जीवन में आगे बढ़ सकें।
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