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#ॐ_नमः_शिवाय
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🌍शुक्र ही बीज (वीर्य) है जो जीवन देता है। शुक्र ही चार पुरुषार्थ में से सबसे ज्यादा तीन पुरुषार्थ (वृष-अर्थ, तुला-काम, मीन-मोक्ष) देता है, शुक्र ही मृत्यु है (द्वितीय, सप्तम मारक), शुक्र ही संजीवनी और शुक्र ही मोक्ष (द्वादश उच्च) का मार्ग ।
🌍फिर भी शुक्र की अवहेलना की जाती है।
क्योंकि
👉वृष का शुक्र- मृत्यु तक ले जाता है।
👉तुला का शुक्र-- योगी पुरुष के योग। को खंडित करता है।
👉मीनस्थ शुक्र-- कन्या को दूषित कर अधर्म की स्थापना करता है। इस लिये उसमें गुण होते हुए भी अच्छा नहीं माना जाता है।
🌍अति सर्वथा वर्जित।
👉अगर शुक्र (सुख का भोग) का उपयोग अधिक होने लग जाय तो रोग व मृत्यु तो देगा ही।
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ओमकार मिश्रा
प्रमुख
सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी-भारत
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