
बहुत से लोगों को ये चिन्ता है कि भाग्य में क्या लिखा है मेरे कब खुलेगी मेरी किस्मत और भी अनेकों भविष्य की चिन्ता आइए जान लेते हैं कि आखिर कब घटित होगा ये मेरे 3000 कुण्डली के शोध के अनुसार भाग्य का ग्रह स्त्री के लिए गुरू ग्रह और पुरुष के लिए शुक्र ग्रह ही है अब ये कुण्डली में किस भाव का स्वामी होकर किस भाव में विराजमान है इसको जानना आवश्यक होता है साथ ही साथ कुण्डली का नवम घर का स्वामी और नवम भाव में बैठा ग्रह और उस पर अन्य ग्रहों की दृष्टि और उससे बनने वाले योग क्या कहते है ये सितारे आपके लिए ये तो एक फलित ज्योतिष का मार्मिक ही बता सकता है संक्षेप में आपको बता दूं कि अगर भाग्येश भाग्य स्थान या केंद्र में हो और षडाष्टक योग न बने तो मनुष्य बहुत भाग्यशाली होता है अगर भाग्येश अपने भाव से अष्टम में बैठ जाए तो षडाष्टक योग बनेगा जिसके कारण भाग्य उदय देर से होता है या फिर तब होगा जब वो उस षडाष्टक योग को ही भंग कर दे जिस प्रकार हर बीमारी की दवा बनी है बस दवा देने वाले डॉक्टर को कितना अनुभव है उसका ईष्ट बल अधिक है तो इस तरह के गुरू ही आपको इस योग का तोड़ दे सकते हैं यानि भाग्य को भी बदल सकते हैं ये तो शिव कृपा के बिना सम्भव ही नहीं। हाथ चंदन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या तो चिंता न करें आइए हमारे सम्पर्क में पता चल जाएगा दुर्योग का तोड़। हर हर महादेव जय मां कामाख्या 9335524343 शिवदत्त अघोरी गुरूजी