
सूर्य हमारी कुंडली में आत्मा का कारक माना गया है तथा जब हमारी कुंडली में सूर्य कारक होता है तब हमें आत्म बल शक्ति तीक्ष्णता बल प्रभाव गरमी अग्नितत्व धैर्य राजश्रय कटुक्त अकर्मता ब्रद्धवस्थ पशुदान भमि पिताभिरुचि ज्ञान हड्डी प्रताप पचन शक्ति उत्सह वन प्रदेश आंख वनभ्रमद राजयात्रा व्यवहार पित्त नेत्र रोग शरीर लकड़ी मन की पवित्रता शासन रोगनश सिर के रोग गंजापन लाल कपड़ा पत्थर प्रदर्शन की भावना नदी का किनारा मूंगा लाल चंदन कटदार झड़िया पर्वतीय प्रदेश सोना तव शास्त्र प्रयोग विषदान औषधि समुद्र पार की यात्रा स्मस्याओ का समाधान गूढ़ मंत्र आदि का कारक है !!!!
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