Moon

किसी भी जन्म कुंडली में चंद्रमा सबसे अधिक त्वरित और मारक फल दे सकने वाला ग्रह होता है। चंद्रमा मन का कारक है। एक राशि में इनका गोचर मात्र सवा दो दिन का ही होता है अर्थात् इनका प्रभाव किसी राशि पर सबसे अधिक शीघ्र और सबसे न्यूनतम समय के लिये होता है। रक्त को मंगल से जोड़ा गया है लेकिन रक्त की रफ्तार चंद्रमा से देखी जाती है। यदि कुंडली में चंद्रमा अपनी नीच राशि वृश्चिक में स्थित हो, या फिर त्रिक भाव 6,8,12 में स्थित हो, या राहु केतु शनि सूर्य मंगल आदि क्रूर ग्रहों के साथ हो अथवा पाप कर्तरी में फँसा हुआ हो तो इस स्थिति में चंद्रमा पीड़ित हो जाता है। ऐसे जातक का मन प्राय: ही खिन्न अर्थात् बुझा हुआ सा ही रहता है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि चंद्रमा मन का कारक है सो जातक यदि अपना मनपसंद कार्य, संगीत, नौकायन आदि जल विहार/ दर्शन, चाँदनी रातों में चंद्रमा को निहारना, Art & Craft आदि कुछ Basic कार्य अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेवे तो उसे शीघ्र ही चंद्रमा के शुभ फल निश्चित तौर पर प्राप्त होने लग जाएँगे। इस बात में कोई भी संदेह नहीं जानना चाहिए। इसके साथ साथ यदि जातक प्रतिदिन अपनी माता के चरण स्पर्श करके घर से निकलें। जिन जातकों की माता जी दिवंगत हो चुकी हैं वे अपनी माता को मन ही मन प्रणाम करके घर से निकलें। और भगवान आशुतोष की नियमित रूप से उपासना, अभिषेक और चंदन का तिलक देना बहुत ही शुभ फल देने वाला रहेगा। कुछ दिन करके देखिए, फिर अपना अनुभव बताइएगा 🤗

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