जब एक ही राशि में 3 या 3 से अधिक ग्रह होता है तो उसे फलित करना बढ़ा ही मुस्किल हो जाता है । समस्याए _ ? राज योग बनते हैं और टूट भी जाते हैं । ? युति में सम्मलित ग्रहों की दशा का फल ज्ञात करना मुश्किल होता हैं | ? मित्र शत्रु सब एक साथ होते हैं| फलित के नियम ========== 1.जिस भाव में अधिक ग्रह होता है उस भाव से संबंधित फल को ले कर बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव आता है। ✓उस भाव का महत्व बढ़ जाता है। क्यू की ज्यादा ग्रह होने के कारण उसी भाव में उसका खुटा गड जाता है।। जब भी फलित करे उस भाव के इनफ्लुएंस अधिक दिखे गा जिस भाव में अधिक ग्रह होगा । 2.सब से पहले इस भाव के स्वामी की स्थिति देखे कैसा है जैसे यदि किसी के घर में अधिक लोग आए तो वह उतना ही उसे हिष्ठ पुष्ट (खिला पिला कर) रख सकता है जितना वह खुद संपन्न रहेगा जब वह खुद निर्धन होगा तो दूसरो को क्या खिला पिला के हिस्ठ पुष्ट करे गा। सब से पहले राशि स्वामी के बल को देखे जितना बलवान और शुभ होगा उस भाव में बैठे ग्रह उतने अनुकूल रहेंगे क्यू की उस भाव का मालिकाना हक तो उसी को मिला है। 3. ग्रहों के (डिग्री)के अनुसार फल जो ग्रह उस राशि स्वामी से अधिक क्लोज होगा उसका फल अधिक प्रभावित होगा। और लग्न राशि के करीब बाला ग्रह उस भाव का फल अधिक देगा।
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