Kundali analysis

कुंडली विश्लेषण 5 प्रस्तुत कुंडली के ✓लग्न कुंडली में बुध उच्च का हो कर बैठे है 4th स्थान पर को भद्र महापुरुष राजयोग बना करे है। ✓लग्न में 9th और लग्न के दृष्टि संबंध शनि बुध का हो रहा है जो राजयोग कारक है। और बुध पुष्कर नवांश में भी गया है ।। और नवांश कुंडली में भी बुध शनि का दृष्टि संबंध बन रहा है और दशमांश में भी बुध शनि का दृष्टि संबंध है।।केंद्र त्रिकोण का संबंध जबरजस्त है जो जातक को राजसुख सत्ता पक्ष से लाभ दिलाता है। ✓शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ है और भाग्य स्थान का स्वामी हो कर कर्म स्थान पर बैठे है। शनि वर्गोत्तम भी है जो जातक को बहुत ही कम के प्रति मेहनती बना दिया है।जब शनि वर्गोत्तम होता है तो जातक के अंदर सहंसीलता आ जाता है।। ✓लग्न कुंडली के धन भाव में उच्च का गुरु है उनका दृष्टि पंचम पर जो शत्रु हंटा योग बना रहा है और भाग्य स्थान और भाग्यपति पर भी दृष्टि डाल रहा है जो एक शुभ दृष्टि से रहा है। यहां शनि पर जो भाग्येश है और भाग्येश के डिस्पोजिटर गुरु उच्च का है और पाने भाव को देख रहा है यह एक प्रबल राजयोग बना रहा है।। ✓चंद्र कुंडली अर्थात चंद्र से शनि ,4 and 5 th का स्वामी है जो योगकारक है।। चंद्र से 6th स्थान पर गया है जो अर्थ त्रिकोण (2,6,10)होता है उसमे से 6th में गया है और लग्न कुंडली से भी शनि भाग्येश है और अर्थ त्रिकोण 10 th में गया है। ✓चंद्र कुंडली से लाभ स्थान पर सूर्य शुक्र बैठे है जो शासन की तरफ से जातक को लाभ दिलाता है।। शुक्र मार्केटिंग का कारक है और सूर्य के साथ लाभ में है अर्थात सरकार से संबधित किसी कार्य को करे तो लाभ होगा,,।। ✓लग्न कुंडली के अर्थ त्रिकोण में (2,6,10 )भाव में उच्च का गुरु, स्व राशि का मंगल और शनि बैठे है जो जातक को इन्ही क्षेत्रों में कार्य करे तो सफलता मिलेगा,, मंगल भूमि का कारक है शनि मजदूर का कारक है शनि की दृष्टि 4th पर है जो प्रॉपर्टी को दिखाता है।।जातक प्रॉपर्टी पर कार्य करे तो लाभ होगा।। मंगल शनि दोनो भाव वर्गोत्तम है जो जमीन के कार्य लेजनिग के कार्य को बताता है।। ✓सूर्य स्व राशि का है और एक क्रूर ग्रह यदि 3rd भाव में हो तो कुंडली अच्छा होता है।। सूर्य सरकार का कारक है और 3rd भाव पार्टनर {अपने सहयोगी)का स्थान है 3rd भाव काम के प्रति एक ऊर्जा देता है सूर्य जैसे जो सरकार के कारक है जातक सरकार के साथ मिल कर कोई काम करे तो लाभ होगा [नवांश कुंडली] नवांश कुंडली में सूर्य पुष्कर नवांश में गया है। सूर्य यहां 6th लॉर्ड हो कर 8th में गया है जो विपरीत राजयोग बना रहा है।। यहां लग्नेश गुरु लग्न में है और राहू से पीड़ित भी है जो विपरीत राजयोग का सारे सर्त पूरा कर रहा है।। पुष्कर नवांश में गया ग्रह जातक को राज्य सरकार से लाभ देता है ,, ।। नवांश के 10 भाव के डिस्पोजिटर गुरु लग्न में उच्च का है।। जो नवांश कुंडली के लग्न के भी डिस्पोजिटर है। नवांश कुंडली के 4th में शुक्र है जो राजयोग कारक होता है।। नवांश कुंडली के 4th भाव के डिस्पोजिटर बुध है जो राशि कुंडली में उच्च का है। [द्षमांश कुंडली D 10] द्षमांश कुंडली जातक के प्रोफेशन को बताता है ,, यहां गुरु चंद्र योग लग्न में है जो गजकेसरी योग बना रहा है ,, ।। आत्माकारक ग्रह सूर्य 4th में है और अमात्य कारक ग्रह गुरु लग्न में है।। जो उच्च कार्य क्षेत्र को बता रहा हैं।। ग्रह अच्छे स्थान पर है ।। लाभ स्थान पर शुक्र है। जो मार्केटिन के व्यापार को दिखाता है ।। [राशि तुल्य नवांश] राशि तुल्य नवांश में केंद्र त्रिकोण में मंगल को छोड़ कर सभी ग्रह गए है ये । जो बहुत ही शुभ संकेत है।। [इन्दु लग्न] इन्दु लग्न जो धन की स्थिति के लिए देखा जाता है इनका लग्न ही इन्दु लगन बनेगा।। इंदुलागन के धन भाव में उच्च का गुरु है ,, बुध भी उच्च का है केंद्र के बुध की महादशा में जातक के पास बहुत धन आया ।। और आयेगा क्यू की बुध की दशा अभी बाकी है।। सार ✓कुंडली बहुत उत्तम है।। जातक बुध की दशा में बहुत धन कमाया। ✓मार्केटिंग में कमाई, प्रॉपर्टी के काम और सरकारी कार्यों में लाभ होगा,,।। ✓केतु योगकारक है केतु की दशा में सत्ता पक्ष से सम्मान पद मिलेगा,, ✓राहु 11 में है कमीसन से मध्यम से धन आयेगा।। ✓जीवन बहुत खुशहाल होगा, धन का अभाव नही रहेगा। ✓समाज में उच्च पद मिलेगा। ✓घर के सुख मिलेगा।। ✓स्वास्थ भी उत्तम रहेगा।।

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