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षष्ठमुखी रुदाक्ष यह षडानन को साक्षात भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह रुद्राक्ष धारण करने से ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति हो सकती है तथा संतान प्राप्ति के लिए यह रुद्राक्ष शुभ फल देता है इसे धारण करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीव्र हो सकती है । कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है।
छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करते समय दही और मधु से स्नान और पूजा कर के "ॐ क्षत वकत्रस्य ह्रीं नमः" इस मंत्र की 21 माला जप करना चाहिए।
वृषभ राशि और तुला राशि के जातक यह क्षत मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है। आपके जीवन में यदि आपको संगीत में रूचि है। लव-मैरिज में सफलता, भौतिक सुखो के अंदर अच्छी सफलता और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति एवं जीवन में सभी क्षेत्र की कला में उच्च सफलता की प्राप्ति के लिए भी क्षत मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए लोग जैसे की शिक्षक,प्रोफेस्सर,अध्यापक आदि सभी यह रुद्राक्ष धारण कर सकते है
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