मकर संक्रांति का महत्व

58 दिन बाणों की शैया पर बिताने के बाद मकर संक्राति को भीष्म पितामह ने त्यागे थे प्राण, इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था । vivah allso par aaiye aur jivansathi dhundhiye

18 दिनों तक चले महाभारत के युद्ध में 10 दिन तक लगातार भीष्म पितामह लड़े थे। 

महर्षि वेदव्यास की महान रचना महाभारत ग्रंथ के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे एकमात्र ऐसे पात्र है जो महाभारत में शुरूआत से अंत तक बने रहे। 18 दिनों तक चले महाभारत के युद्ध में 10 दिन तक लगातार भीष्म पितामह लड़े थे। पितामह भीष्म के युद्ध कौशल से व्याकुल पाण्डवों को स्वयं पितामह ने अपनी मृत्यु का उपाय बताया। भीष्म पितामह 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहे लेकिन अपना शरीर नहीं त्यागा क्योंकि वे चाहते थे कि जिस दिन सूर्य उत्तरायण होगा तभी वे अपने प्राणों का त्याग करेंगे।

1. भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था इसलिए उन्होने स्वंय ही अपने प्राणों का सूर्य उत्तरायण यानी कि मकर संक्राति के दिन त्याग किया। allso

2. जिस समय महाभारत का युद्ध चला कहते हैं उस समय अर्जुन की उम्र 55 वर्ष, भगवान कृष्ण की उम्र 83 वर्ष और भीष्म पितामह की उम्र 150 वर्ष के लगभग थी। astrologers in India, famous genuine astrologers, world famous genuine astrologers

3. भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान स्वयं उनके पिता राजा शांतनु द्वारा दिया गया था क्योंकि अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए भीष्म पितामह ने अखंड ब्रह्मचार्य की प्रतिज्ञा ली थी।

4. कहते हैं कि भीष्म पितामह के पिता राजा शांतनु एक कन्या से विवाह करना चाहते थे जिसका नाम सत्यवती था। लेकिन सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु से अपनी पुत्री का विवाह तभी करने की शर्त रखी जब सत्यवती के गर्भ से उत्पन्न शिशु को ही वे अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित करेंगे। online astrologers, famous astrologer

5. राजा शांतनु इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उन्होने तो पहले ही भीष्म पितामह को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। astrologer, astrologers, Astrology Consulting, best astrologers

6. सत्यवती के पिता की बात को अस्वीकार करने के बाद राजा शांतनु सत्यवती के वियोग में रहने लगे। भीष्म पितामह को अपने पिता की चिंता की जानकारी हुई तो उन्होने तुरंत अजीवन अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा ली।

7. भीष्म पितामह ने सत्यवती के पिता से उनका हाथ राजा शांतनु को देने को कहा और स्वयं के अाजीवन अविवहित रहने का बात कही जिससे उनकी कोई संतान राज्य पर अपना हक ना जता सके।

8. इसके बाद भीष्म पितामह ने सत्यवती को अपने पिता राजा शांतनु को सौंपा। राजा शांतनु अपने पुत्र की पितृभक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हे इच्छा मृत्यु का वरदान दिया। Allso.in - WE ARE PROVIDING WORLD`S LARGEST PLATFORM FOR ASTROLOGERS, VASTUSHASTRI ETC.

9. धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से कहा जाता है कि भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण यानी कि मकर संक्राति के दिन 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद अपने वरदान स्वरूप इच्छा मृत्यु प्राप्त की ।

10. सूर्य उत्तरायण के दिन मृत्यु को प्राप्त होने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस दिन भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। ALLSO  https://allso.in You can got best astrologer in india

इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है , भीष्म पितामह गंगा पुत्र भी थे । vivahallso | Got Ypur Perfect Life partner at http://vivahallso.com 


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