पौष मास का आरंभ हिंदू पंचांग में एक महत्वपूर्ण समय है जब आप आध्यात्मिक साधना के लिए अपनी पूजा प्रवृत्ति को सुधार सकते हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इस मास में धन्य लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
गणेश पूजा के लिए, प्रातःकाल अन्न और घी के साथ सिद्ध करें और फिर सफलता की प्राप्ति के लिए "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का १०८ बार जाप करें। पूजा के बाद, पौष पुर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा का आयोजन करें।
धन्य लक्ष्मी की पूजा के लिए, पवित्र स्थान पर बैठकर "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद" मंत्र का १०८ बार जाप करें और लक्ष्मी आरती गाएं। पूजा के दौरान स्वयं को धन की प्राप्ति के लिए समर्पित करें और दरिद्रों के साथ दान करने का संकल्प लें।
सूर्य संक्रांति, पौष मास की एक विशेष घटना है, जब सूर्य दक्षिणायन में होता है। यह दिन दक्षिण अफ्रीका में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह अन्य संक्रांतियों से अलग है क्योंकि यह सूर्य का उगमन है और दिन की लम्बाई में वृद्धि होती है।
सूर्य संक्रांति के दिन, सूर्यदेव की पूजा की जाती है जिसमें धूप, दीप, और सूर्य नमस्कार शामिल होते हैं। सूर्य संक्रांति को "उत्तरायण" कहा जाता है और इस दिन को आत्मा की ऊर्जा को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
इस आध्यात्मिक यात्रा में ध्यान, त्याग, और साधना के माध्यम से आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। इसे साझा करने के लिए #पौषपूजा, #सूर्यसंक्रांति, और #आध्यात्मिकसाधना के साथ आप भी इस अनुभव को साझा करें। 🙏💐