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आज का लेख एवं आज का पञ्चांग 26 दिसम्बर 2023 दिन मंगलवार।।
मित्रों, तारीख 26 दिसम्बर 2023 दिन मंगलवार को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। आज स्नान-दानादि की पुण्यतमा पूर्णिमा है। आज श्रीदत्त भगवान (दत्तात्रेय) की जन्म जयन्ती है। यह जयन्ती का कार्यक्रम यह उत्सव अथवा पूजा विधि सायंकालीन प्रदोष काल में ही मनाया जायेगा। आप सभी सनातनियों को "पूर्णिमा एवं श्रीदत्त भगवान अर्थात दत्तात्रेय जयन्ती" की हार्दिक शुभकामनायें।।
हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण। आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातकों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। ऐसी मेरी आप सभी आज के अधिष्ठात्री देवों से हार्दिक प्रार्थना है।।
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।। पधारने हेतु भागवत प्रवक्ता - स्वामी धनञ्जय महाराज की ओर से आपका ह्रदय से धन्यवाद। आप का आज का दिन मंगलमय हो। अपने गाँव, शहर अथवा सोसायटी में भागवत कथा के आयोजन हेतु कॉल - 9375268850 करें या इस लिंक को क्लिक करें।।
वैदिक सनातन हिन्दू पञ्चांग, Vedic Sanatan Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi), 2:- वार (Day), 3:- नक्षत्र (Nakshatra), 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).
पञ्चांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग का श्रवण करते थे। शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है। करण के पठन-श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नित्य पञ्चांग को देखना, पढ़ना एवं सुनना चाहिए।।
आज का पञ्चांग 26 दिसम्बर 2023 दिन मंगलवार।।
Aaj ka Panchang 26 December 2023.
विक्रम संवत् - 2080.
संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर - नल.
शक - 1945.
अयन – दक्षिणायन.
गोल - दक्षिण.
ऋतु – हेमन्त.
मास - मार्गशीर्ष.
पक्ष - शुक्ल.
गुजराती पंचांग के अनुसार – मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष.
तिथि - चतुर्दशी 05:48 AM बजे तक उपरान्त पूर्णिमा तिथि है।।
नक्षत्र - मृगशिरा 22:22 PM तक उपरान्त आर्द्रा नक्षत्र है।।
योग - शुभ 04:22 AM तक उपरान्त शुक्ल योग है।।
करण - वणिज 05:48 AM तक उपरान्त विष्टि 17:52 PM तक उपरान्त बव करण है।।
चन्द्रमा - वृषभ राशि पर 09:48 AM तक उपरान्त मिथुन राशि पर।।
सूर्य – धनु राशि एवं मूल नक्षत्र पर गोचर कर रहे हैं।।
मुम्बई सूर्योदय - प्रातः 07:12:48
मुम्बई सूर्यास्त - सायं 18:03:51
वाराणसी सूर्योदय - प्रातः 06:47:26
वाराणसी सूर्यास्त - सायं 17:13:27
राहुकाल (अशुभ) - दोपहर 15:22 बजे से 16:43 बजे तक।।
शुभ मुहूर्त - दोपहर 12.27 बजे से 12.51 बजे तक।।
पूर्णिमा तिथि विशेष - पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।।
हमारे वैदिक सनातन धर्म में हर मास की पूर्णिमा को कोई-न-कोई व्रत-त्यौहार होता ही है। आज दत्तात्रेय भगवान जी की जन्म जयन्ती है। जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा की दशा चल रही हो उसे पूर्णिमा के दिन उपवास रखना अर्थात व्रत करना चाहिये। जिनके बच्चे कफ रोगी हों अर्थात सर्दी, जुकाम, खाँसी और निमोनियाँ समय-समय पर होती रहती हो उनकी माँ को वर्षपर्यन्त पूर्णिमा का व्रत करना और चन्द्रोदय के बाद चंद्रार्घ्य देकर व्रत तोड़ना चाहिये।।
पूर्णिमा माता लक्ष्मी को विशेष प्रिय होती है। इसलिये आज के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से मनोवान्छित कामनाओं की सिद्धि होती है। पूर्णिमा को शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बिल्वपत्र, शमीपत्र, फुल तथा फलादि चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। पूर्णिमा को शिव पूजन में सफ़ेद चन्दन में केशर घिसकर शिवलिंग पर चढ़ाने से घर के पारिवारिक एवं आन्तरिक कलह और अशान्ति दूर होती है।।
मित्रों, जिस व्यक्ति का जन्म पूर्णिमा तिथि को होता है, वह व्यक्ति पूर्ण चन्द्र की तरह आकर्षक और मोहक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। इनकी बुद्धि उच्च स्तर की होती है। ऐसे जातक अच्छे खान पान के शौकीन होते हैं तथा ये सदा ही अपने कर्म में जुटे रहते हैं। ऐसे लोग अत्यधिक परिश्रमी होते हैं और इसी वजह से धनवान भी होते हैं। परन्तु इनमें एक बहुत बड़ी कमी ये होती है, कि ये सदैव परायी स्त्रियों पर मोहित रहते हैं।।
मृगशिरा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव:- यदि आपका जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है तो आप स्वभाव से चतुर एवं चंचल होते हैं। आप अध्ययन में अधिक रूचि रखते हैं। माता पिता के आज्ञाकारी और सदैव साफ़ सुथरे आकर्षक वस्त्र पहनने वाले होते हैं। आपको श्वेत रंग अत्यधिक प्रिय है। मृगशिरा नक्षत्र में पैदा हुए जातकों का चेहरा बहुत ही आकर्षक एवं सुन्दर होता है।।
आपका झुकाव विपरीत लिंग की ओर सामान्यतः अधिक होता है। आपका मन सौम्य परन्तु कामातुर होता है। भ्रमण करना आपको प्रिय है। आपका अधिकतर जीवन विलासितापूर्ण एवं ऐश्वर्यशाली होता है। आप आर्धिक रूप से धनि होने के साथ-साथ बहुत ही सोच समझ कर धन खर्च करने वाले होते हैं। अपने इसी स्वभाव के कारण मित्रों में आप कन्जूस भी कहलाते हैं।।
आपकी प्रगति में निरंतर बाधाएं आती रहती हैं तथा जीवन परिवर्तनशील रहता है। आप भी इस परिवर्तन को झेलते हुए जीवन में कई बार कार्य क्षेत्र बदलते हैं। आप किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले उसके हर एक पहलु पर अच्छी तरह सोच विचार कर लेते हैं। स्वभाव से अक्सर गंभीर और शांत रहने वाले होते हैं। मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक क्रोध कम करते हैं।।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक यदि क्रोधित हो भी जाएँ तो शांत होने पर पश्चाताप भी करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों का गायन वाद्य आदि कलाओं में अधिक रूचि होती है। मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातकों का जीवन बाधा रहित वैभव शाली होता है। पेट और पाचन से सम्बन्धी रोग, कन्धों में दर्द और जीवन में कोई विशेष दुर्घटना की संभावना सदैव बनी रहती है।।
प्रथम चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके प्रथम चरण का स्वामी ग्रह सूर्य है। सूर्य और मंगल, दोनों ग्रहों का संयोग राजयोग देता है। फलस्वरूप ऐसा जातक राजतुल्य बनता है। उसके पास राजा के समान ठाट-बाट की सभी वस्तुएं रहती हैं। मंगल और सूर्य में मित्रता के कारण सूर्य और मंगल दोनों की दशाएं शुभ जायेंगी और शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नति होगी।।
द्वितीय चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके द्वितीय चरण का स्वामी ग्रह बुध हैं। अतः बुध और मंगल में शत्रुता के कारण जातक में झूठ बोलने एवं स्वर्ण चोरी के लक्षण देखे जाते हैं अर्थात जातक स्वर्णकार होगा। कुछ छिपाने की, चोरी की आदत स्वभाव में ही होती है। शुक्र की दशा-अन्तर्दशा में जातक की उन्नति तो होगी परन्तु विशेष भाग्योदय करने में सहायक नहीं होगी।।
तृतीय चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके तृतीय चरण का स्वामी ग्रह शुक्र हैं। जो विलासप्रिय एवं भोगी होते हैं। अतः मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय चरण में पैदा होने वाला जातक ऐश्वर्य प्रिय, भोगी एवं कुटिल बुद्धि वाला होगा। लग्नेश की दशा शुभ फल देगी।।
चतुर्थ चरण:- मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इसके चतुर्थ चरण का स्वामी ग्रह मंगल हैं। अतः मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में पैदा होने वाले जातक पर मंगल का प्रभाव अधिक रहेगा। जातक का जीवन धन-धान्य से युक्त रहेगा एवं सदा लक्ष्मियुक्त रहेगा। लग्नेश बुध और मंगल की दशा उत्तम फल देगी।।
मंगलवार को नए कपड़े न ही खरीदना चाहिये और न ही पहली बार पहनना चाहिए। मंगलवार वाहन एवं भूमि-भवन आदि भी नहीं खरीदना चाहिये।।
मंगलवार को क्षौरकर्म (बाल दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से भी आयु की हानि होती है।। (महाभारत अनुशासनपर्व)।।
मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात दाढ़ी या बाल काटने या कटवाने से उम्र कम होती है। अत: मंगलवार को बाल या दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है।।
मंगलवार को यथासंभव कोशिश करके मंदिर में जाकर हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी/लाल पेड़े या गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत एवं नज़र की बाधा से बचाव होता है साथ ही आपके समस्त शत्रु परास्त होते है।।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है। मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।।
मंगलवार को जिनका जन्म होता है, वो जातक स्वभाव से उग्र, साहसी, प्रयत्नशील एवं महत्वाकांक्षी होते हैं। इनमें नेतृत्व की क्षमता अन्यों के मुकाबले बहुत शुद्ध होती है। ऐसे लोग जिम्मेदारियों के कार्य में सफल भी होते हैं। खिलाड़ी, पहलवान, सेना तथा पुलिस विभाग में सफल रहते हैं। यह जातक अधिकांशतः रक्तवर्ण या गेहूंआ रंग होता है।।
मंगलवार को जन्म लेनेवाला जातक जटिल बुद्धि वाला होता है। ये किसी भी बात को आसानी से नहीं मानते हैं। ऐसे लोग शक्की किस्म के होते हैं इसलिये सभी बातों में इन्हें कुछ न कुछ खोट दिखाई देता है। ये युद्ध प्रेमी और पराक्रमी होते हैं तथा अपनी बातों पर कायम रहने वाले होते हैं। जरूरत पड़ने पर ऐसे जातक हिंसा पर भी उतर आते हैं। इनके स्वभाव की एक बड़ी विशेषता है कि ये अपने कुटुम्ब का पूरा ख्याल रखते हैं।।
मंगलवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वभावानुसार क्रोधी, उग्र, पराक्रमी, जुझारू, अदम्य साहसी, आलोचना सहन न करने वाले और सांगठनिक क्षमता वाले होते हैं। नेतागिरी, पुलिस, सेना, नौकरशाह तथा खिलाड़ी के रूप में इनका कैरियर सफल रहता है। इनका शुभ अंक 3, 6, 9 तथा शुभ रंग लाल एवं मैरुन और इनका शुभ दिन मंगलवार एवं शुक्रवार होता है।।
मंगलवार का विशेष टिप्स - यदि आपके जीवन में कभी अचानक ज्यादा खर्च की स्थिति बन जाय, तो किसी भी मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में गुड़-चने का भोग श्रद्धापूर्वक लगाएं। भोग लगाने के बाद वहीँ बैठकर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करें।।
मंगलवार के दिन ये विशेष उपाय करें - मंगलवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। आज हनुमान जी को चमेली का तेल चढ़ाना, चमेली के तेल का ही दीपक जलाना तथा माखन का भोग लगाना चाहिये, इससे हर प्रकार की मनोकामना की सिद्धि तत्काल होती है।।
आज का सुविचार - मित्रों, दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा. अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता। जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना, अगर ये याद रखेंगे तो कभी नीचा नही देखना पड़ेगा।।
अरिष्ट अर्थात एक्सिडेन्ट एवं चोट आदि लगने के योग ।।..... आज के इस पुरे लेख को पढ़ने के लिये इस लिंक को क्लिक करें.... वेबसाईट पर पढ़ें: & ब्लॉग पर पढ़ें:
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