पहले दिन भगवती शैलपुत्री की पूजा

पहले दिन भगवती शैलपुत्री की पूजा

 
आसो नवरात्रि के पहले दिन भगवती शैलपुत्री की पूजा
आसो नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं पहली रात भगवती शैलपुत्री की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। मा भगवती शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र सक्रिय होता है। मा शैलपुत्री की पूजा करने से जातक के शरीर में बल मिलता है घर के अंदर एकआसन पर तेल और घी का दीपक कर के बैठी भगवती शैलपुत्री मंत्रों का जाप करती हैं। मां शैलपुत्री एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल का फूल लेकर वृषभ वाहन पर विराजमान हैं। जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य और मंगल से नीच राशि के है, अगर वे प्प्रथम तीन दिन भगवती शैलपुत्री की पूजा करते हैं, तो उन्हें शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है।

नवदुर्गा (नवरात्रि) में माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप श्री शैलपुत्री जी की उपासना विधि

〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥ श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण भगवती का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का है, जिनकी आराधना से प्राणी सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है। माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को ?मूलाधार? चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से ?मूलाधार चक्र? जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं। मां दुर्गा शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक सनातन काल से मनाया जाता रहा है. आदि-शक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में पूजा की जाती है. अत: इसे नवरात्र के नाम भी जाना जाता है. सभीदेवता, राक्षस, मनुष्य इनकी कृपा-दृष्टि के लिए लालायित रहते हैं. यह हिन्दू समाज का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक, नैतिकव सांसारिक इन चारों ही दृष्टिकोण से काफी महत्व है.दुर्गा पूजा का त्यौहार वर्ष में दो बार आता है, एक चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में चैत्र माह में देवी दुर्गा की पूजा बड़े ही धूम धाम से की जाती है लेकिन आश्विन मास का विशेष महत्व है. दुर्गा सप्तशती में भी आश्विन माह के शारदीयनवरात्रों की महिमा का विशेष बखान किया गया है. दोनों मासों में दुर्गा पूजा का विधान एक जैसा ही है, दोनों ही प्रतिपदा से दशमी तिथि तक मनायी जाती है।

माता शैलपुत्री की कथा

〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।' शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी। सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे। परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है। वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।

शैलपुत्री पूजा विधि:

〰〰🌼🌼〰〰 शारदीय नवरात्र पर कलश स्थापना के साथ ही माँ दुर्गा की पूजा शुरू की जाती है. पहले दिन माँ दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है. दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर हम पूजते हैं। अत: इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों,दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और और कलश में उन्हें विराजने हेतु प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है। कलश में सप्तमृतिका यानी सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, मुद्रा सादर भेट किया जाता है और पंच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित किया जाता है.इस कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जौ बोये जाते हैं जिन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है और इससे सभी देवी-देवता की पूजा होती है. इसे जयन्ती कहते हैं जिसे इस मंत्र के साथ अर्पित किया जाता है ?जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नामोस्तुते?. इसी मंत्र से पुरोहित यजमान के परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर जयंती डालकर सुख, सम्पत्ति एवं आरोग्य का आर्शीवाद देते हैं।कलश स्थापना के पश्चात देवी का आह्वान किया जाता है कि ?हे मां दुर्गा हमने आपका स्वरूप जैसा सुना है उसी रूप में आपकी प्रतिमा बनवायी है आप उसमें प्रवेश कर हमारी पूजा अर्चना को स्वीकार करें?. देवी दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल पर बीच में स्थापित की जाती है और उनके दोनों तरफ यानी दायीं ओर देवी महालक्ष्मी, गणेश और विजया नामक योगिनी की प्रतिमा रहती है और बायीं ओर कार्तिकेय, देवी महासरस्वती और जया नामक योगिनी रहती है तथा भगवान भोले नाथ की भी पूजा की जाती है. प्रथम पूजन के दिन ?शैलपुत्री? के रूप में भगवती दुर्गा दुर्गतिनाशिनी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन से होती हैं।

शैलपुत्री की ध्यान

〰🌼🌼🌼🌼〰 वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रर्धकृत शेखराम्। वृशारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्वनीम्॥ पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥ पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥ प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्। कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥ शैलपुत्री की स्तोत्र पाठ: प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर: तारणीम्। धन ऐश्वर्यदायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥ त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्। सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥ चराचरेश्वरी त्वंहिमहामोह: विनाशिन। मुक्तिभुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥ शैलपुत्री की कवच : ओमकार: मेंशिर: पातुमूलाधार निवासिनी। हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥ श्रींकारपातुवदने लावाण्या महेश्वरी । हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत। फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

भूमि-भवन वाहन की प्राप्ति हेतु नवरात्रि के प्रथम दिवस के उपाय

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी भूमि-भवन वाहन की प्राप्ति नहीं हो रही है तो नवरात्र के पहले दिन यानी मां शैलपुत्री के दिन रात्रि में 8 बजे के बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर उस पर दुर्गा जी का यंत्र स्थापित करें। तत्पश्चात 1 लौंग, 1गोमती चक्र, एक साबुत सुपारी, एक लाल चंदन का टुकड़ा, 1 रक्त गुंजा, इन समस्त सामग्री को एक पानी से भरे लोटे में रखें। घी का दीपक जला लें। 3 माला ॥ ॐ ह्लीं फट्?॥ की करें और एक माला ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे शैलपुत्री देव्यै नम: की जाप करें। प्रत्येक माला के बाद लोटे पर एक फूंक मारे। फिर उस लोटे के जल को पीपल वृक्ष की जड़ में चढ़ा दें, उन लौंग एवं सुपारी को भी वहीं मिट्ट?ी में दबा दें। लाल चंदन का टुकड़ा और रक्त गुंजा का अपने ऊपर से उसार करके बहते पानी में बहा दें। अनावश्यक कोर्ट-कचेहरी के मामलों से छुटकारा मिल जाएगा। यदि अनावश्यक रूप से कोर्ट-कचहरी के मामलें परेशान कर रहे हो तो हर रोज 40 दिन तक 108 मोगरे के पुष्प ॐ ह्लीं श्रीं क्रीं शैलपुत्रिये नम:?। मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें। प्रारंभ प्रथम नवरात्र को यह उपाय शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करें।

Latest Products

astrologers, Astrology product sell, best astro product sell, online astro product sell, famous product sell, astrologey product sell in India

Zultanite Crystal Pendant

500
astrologers, Astrology product sell, best astro product sell, online astro product sell, famous product sell, astrologey product sell in India

Yello Shappphire

1000
astrologers, Astrology product sell, best astro product sell, online astro product sell, famous product sell, astrologey product sell in India

Yantra Bajath

540
astrologers, Astrology product sell, best astro product sell, online astro product sell, famous product sell, astrologey product sell in India

Ghar Mandir

35000
astrologers, Astrology product sell, best astro product sell, online astro product sell, famous product sell, astrologey product sell in India

Bhagya Lakshmi Vivah Card

2250

Latest Comments

No Comments Yet