RAW PYRITE STONE — “THE GOLD OF FIRE”
रॉ पाइराइट स्टोन को प्राचीन काल से “फायर गोल्ड” कहा गया है — क्योंकि यह पत्थर जब लोहे से टकराता है, तो उसमें से अग्नि की चिनगारियाँ निकलती हैं। संस्कृत में इसे अग्निधातु या सौर्य रत्न कहा जा सकता है।
विश्वकर्मा प्रकाशिका (अध्याय 9) में कहा गया है –
“तेजोवान् रत्नं सौर्यात्मकं शुभदं भवेत्”
अर्थात् जो रत्न सूर्य के तेज के समान दमकता है, वह शुभ और समृद्धि प्रदान करने वाला होता है।
रॉ पाइराइट इसी तेज का प्रतीक है — यह धन, आत्मविश्वास और सुरक्षा का स्वाभाविक चुंबक है।
🌏 2. पंचमहाभूत आधारित स्वरूप
पाइराइट में दो तत्वों का अद्भुत संतुलन होता है —
अग्नि तत्त्व (तेज, ऊर्जा, शक्ति)
पृथ्वी तत्त्व (स्थिरता, धारण शक्ति)
इसी कारण यह दो विशेष वास्तु कोनों में अत्यंत प्रभावी माना गया है —
दक्षिण दिशा (अग्नि क्षेत्र) – यम व अग्नि देव का क्षेत्र, यश और कर्मशक्ति देता है।
नैऋत्य दिशा (धन स्थिरता) – नैऋति देवी का क्षेत्र, संपत्ति को स्थिर करता है।
इस प्रकार पाइराइट सूर्य की तेजस्विता को पृथ्वी की स्थिरता में जड़ देता है — यही कारण है कि इसे नेताओं और उद्यमियों का पत्थर कहा जाता है।
📜 3. शास्त्रीय प्रमाण
🔱 बृहत्संहिता (अध्याय 56 – रत्नाध्याय)
“सूर्यस्य तेजोमयं रत्नं पीतवर्णं शुभप्रदम्”
अर्थात् जो रत्न सूर्य के समान सुनहरा और दमकदार हो, वह शुभ और सफलता देने वाला होता है।
🔱 मयमतम् (अध्याय 15 – धातुविचार)
“लोहस्य तेजसः संपुष्टं गृहे श्रीं वहं भवेत्”
यानी अग्नि से संपन्न धातु या रत्न घर में लक्ष्मी का वास कराता है।
🔱 विश्वकर्मा प्रकाश
“यस्य शिला रश्मिरूपा सा सौर्यभावमावहति”
जो पत्थर सूर्य के समान किरणें उत्सर्जित करता है, वह सूर्य की ऊर्जा को आकर्षित करता है।
🔱 अग्नि पुराण (अध्याय 267)
“हिरण्यवर्णः सूर्यात्मकः श्रीमान् धनं ददाति”
स्वर्ण के समान आभा वाला जो सूर्यस्वरूप धातु है, वह धन और वैभव प्रदान करता है।
🔆 4. ऊर्जा विज्ञान एवं तत्व तालिका
पहलू गुण संस्कृत संबंध वास्तु प्रभाव
रंग सुनहरा-धात्विक सौर्य तेज दक्षिण, नैऋत्य
तत्व अग्नि + पृथ्वी अग्नि-प्रिथ्वी संतुलन ऊर्जा व स्थिरता
ग्रह सूर्य आत्म तत्व नेतृत्व, आत्मबल
चक्र मणिपूर चक्र अग्नि केंद्र इच्छाशक्ति, पाचन
देवता अग्नि देव / यम कर्म प्रधान देवता निर्णय, अनुशासन
⚡ 5. मानसिक व सूक्ष्म प्रभाव
आत्मविश्वास व आकर्षण बढ़ाता है, सूर्य नाड़ी को सक्रिय करता है।
निर्णय क्षमता व क्रियाशक्ति को मजबूत करता है।
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा कवच बनाता है।
लक्ष्मी ग्रंथि (सौर्य केंद्र) को खोलकर धन प्रवाह बढ़ाता है।
🏠 6. 16 वास्तु ज़ोन अनुसार उपयोग
ज़ोन देवता पाइराइट का कार्य स्थापना विधि
दक्षिण (Agni) अग्नि देव यश, शक्ति, उत्साह 500–700 ग्राम क्लस्टर पीतल प्लेट पर, मुख पूर्व की ओर
आग्नेय (SE) अग्नेय व्यापार वृद्धि, धन प्रवाह कॉपर प्लेट पर 700 ग्राम पाइराइट + रेड जैस्पर रॉड
नैऋत्य (SW) नैऋति देवी स्थिरता, धन संचय 1 किलो पाइराइट पीतल या सीसे के बेस पर
पश्चिम (W) वरुण धन प्रवाह में संतुलन 300 ग्राम पाइराइट + स्फटिक
ब्रह्मस्थान ब्रह्मा ऊर्जा का प्रसार 250 ग्राम पिरामिड रूप में
🔯 7. ज्यामिति और धातु संयोजन
कच्चा रूप (Raw) – अग्नि तत्व को स्थिर करता है।
घनाकार रूप (Cubic) – पंचभूत संतुलन लाता है।
पिरामिड रूप – ऊर्ध्वगामी ऊर्जा बढ़ाता है।
धातु संयोजन:
तांबे की प्लेट – सूर्य माध्यम।
पीतल का स्टैंड – अग्नि व पृथ्वी संतुलन।
सीसे का बेस – दक्षिण-पश्चिम में स्थिरता।
🔆 8. प्राण प्रतिष्ठा विधि
समय: रविवार, सूर्योदय के समय या पुष्य नक्षत्र में।
मंत्र: “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः” (108 बार)।
अभिमंत्रण: केसर व हल्दी मिले जल से छिड़कें।
दीपदान: घी का दीपक कॉपर प्लेट पर 7 दिन।
नैवेद्य: गुड़ और लाल फूल अग्नि देव को अर्पित करें।
🕋 9. वास्तु अनुसार उपयोग
गृह के लिए
नींव में दक्षिण-पूर्व कोने में 50 ग्राम पाइराइट दबाएँ।
घर में नकारात्मक ऊर्जा व आर्थिक हानि से सुरक्षा।
कार्यालय / उद्योग
चेयर के पीछे दक्षिण दिशा में 1 किलो क्लस्टर रखें।
प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता बढ़ाता है।
दुकान / व्यापार स्थल
कैश काउंटर के दक्षिण या दक्षिण-पूर्व भाग में रखें।
बिक्री, लाभ और ग्राहकों का आकर्षण बढ़ता है।
🌞 10. ग्रहों के अनुसार प्रभाव
ग्रह संबंध पाइराइट का प्रभाव
सूर्य मुख्य ग्रह आत्मबल, प्रतिष्ठा, यश
मंगल सहायक साहस व निर्णय शक्ति
शुक्र संतुलन धन व सुख वृद्धि
शनि विरोधी भय, आलस्य को दूर करता है
यदि सूर्य कमजोर या 6वें भाव में हो, तो रूबी के विकल्प के रूप में पाइराइट का उपयोग किया जा सकता है।
⚖️ 11. वजन व स्थापना
उद्देश्य दिशा वजन धातु मंत्र
धन वृद्धि आग्नेय 700 ग्राम तांबा 108 बार
यश व कीर्ति दक्षिण 500 ग्राम पीतल 54 बार
स्थिरता नैऋत्य 1 किलो सीसा 108 बार
कार्यालय चेयर पीछे 250 ग्राम पीतल 27 बार
🎨 12. रंग विज्ञान
स्वर्ण (#957326) – सूर्य का तेज व यश।
लाल/केसरिया – दक्षिण दिशा में संतुलन।
नीला या काला – वर्जित, क्योंकि अग्नि तत्व कमजोर करता है।
प्रकाश: हल्का पीला (3000K) सर्वोत्तम है।
🖼️ 13. प्रतीक व चित्र
शिल्प रत्न (अध्याय 7) में कहा गया है —
“अग्निसदृशं स्वर्णवर्णं धातुं पूजयेत्।”
अर्थात् सुनहरी आभा वाले अग्निस्वरूप धातु की पूजा करनी चाहिए।
इसलिए सूर्य, रथ या पर्वत उदय के चित्र पाइराइट के पास लगाएँ।
💎 14. क्रिस्टल संयोजन
साथी क्रिस्टल दिशा प्रभाव
स्फटिक ईशान शुद्धि व स्पष्टता
रेड जैस्पर आग्नेय धन प्रवाह
टाइगर आइ दक्षिण साहस
ब्लैक टूरमालिन नैऋत्य सुरक्षा व स्थिरता
सिट्रीन पूर्व लाभ व अवसर
🔶 15. “सौर्य यंत्र”
पीतल की 9 खाने वाली पट्टिका पर निम्न संख्याएँ लिखें –
6 1 8
7 5 3
2 9 4
बीच में (5) पर पाइराइट रखें और सूर्य गायत्री मंत्र का जप करें।
🧘 16. स्वास्थ्य लाभ
पाचन व मेटाबॉलिज़्म सुधारे।
रक्त संचार बढ़ाए।
आलस्य व तनाव घटाए।
(उपयोग केवल ऊर्जा संतुलन हेतु, सेवन न करें।)
⚠️ 17. क्या करें और क्या न करें
करें:
रविवार को मंत्र से सक्रिय करें।
तांबा या पीतल के साथ रखें।
सप्ताह में एक बार धूप-सूर्य में रखें।
न करें:
उत्तर या ईशान दिशा में न रखें।
पानी के पास न रखें।
कृत्रिम या गोल्ड-प्लेटेड रूप का प्रयोग न करें।
🪔 18. पौराणिक अर्थ
स्कन्द पुराण (काशी खंड) कहता है –
“अग्निः सर्वक्रीयाणां मूलं अर्थसिद्धिः ततः भवेत्।”
अर्थात् अग्नि सभी कर्मों का मूल है, इसलिए सफलता उसी से प्राप्त होती है।
पाइराइट उसी अग्नि का स्थूल रूप है।
⚙️ 19. वैज्ञानिक दृष्टि
पाइराइट में FeS₂ (Iron Disulfide) होता है जो विद्युत-चालक है। यह माइक्रो स्केल पर स्थिर चुंबकीय क्षेत्र बनाता है, जो मानव ऊर्जा क्षेत्र (8–14 Hz) के साथ मेल खाता है।
इससे दक्षिण दिशा में एकाग्रता व फोकस बढ़ता है।
🪙 20. ज्योतिषीय उपाय
यदि कुंडली में –
सूर्य निर्बल हो (तुला राशि, 6वां भाव)
मंगल शनि या राहु से पीड़ित हो
तो रविवार को सूर्य होरा में पाइराइट स्थापित करें।
मंत्र:
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः”
नीचे स्वर्ण सिक्का रखकर हल्दी लगाएँ।
👑 21. सामाजिक-आध्यात्मिक लाभ
आत्मविश्वास और नेतृत्व शक्ति बढ़ाता है।
भय, आलोचना और असुरक्षा मिटाता है।
सार्वजनिक सम्मान व पहचान दिलाता है।
सत्य और धर्म की राह पर टिके रहने में सहायक।
🏛️ 22. एमवीडीई / टीएसवी कंसल्टेशन में उपयोग
उद्यमी: दक्षिण + आग्नेय – धन और नेतृत्व।
राजनीतिक / प्रशासनिक व्यक्ति: दक्षिण + नैऋत्य – शक्ति स्थिरता।
छात्र / करियर बिल्डर: डेस्क पर दक्षिणमुखी छोटा पाइराइट क्यूब।
औद्योगिक स्थल: S–SE–SW त्रिकोण में चार क्लस्टर।
⚜️ 23. तुलनात्मक अध्ययन
रत्न तत्व ऊर्जा उपयोग
पाइराइट अग्नि + पृथ्वी शक्ति, संपन्नता धन व यश
सिट्रीन अग्नि + वायु रचनात्मकता व्यापार वृद्धि
टाइगर आई अग्नि + पृथ्वी साहस नेतृत्व
रेड जैस्पर अग्नि + पृथ्वी स्थिरता कार्य निष्पादन
📚 24. प्रमुख श्लोक सारांश
ग्रंथ श्लोक अर्थ
बृहत्संहिता 56 “सूर्यस्य तेजोमयं रत्नं…” सूर्यवत् रत्न शुभदायक
मयमतम् 15 “लोहस्य तेजसः संपुष्टं…” अग्निमय धातु श्रीवर्धक
विश्वकर्मा प्रकाश 5 “यस्य शिला रश्मिरूपा…” किरणयुक्त पत्थर सौर्य ऊर्जा देता है
अग्नि पुराण 267 “हिरण्यवर्णः सूर्यात्मकः…” स्वर्णाभ धातु धनप्रद
स्कन्द पुराण “अग्निः सर्वक्रीयाणां मूलं…” अग्नि सफलता का आधार
🌟 25. सारांश
गुण विवरण
स्वरूप धात्विक खनिज (FeS₂)
तत्व अग्नि + पृथ्वी
ग्रह सूर्य
सर्वोत्तम दिशा दक्षिण, आग्नेय, नैऋत्य
कार्य धन, आत्मबल, सुरक्षा
धातु आधार तांबा या पीतल
वजन 500 ग्राम – 1 किलो
मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः
रंग स्वर्ण (#957326)
🕉️ 26. समापन श्लोक
मानसार (अध्याय 12) में कहा गया है –
“तेजस्विनां तेजः संहितं धातुषु सूर्यात्मकेषु।”
अर्थात् सूर्य का तेज अग्नि तत्वयुक्त धातुओं में स्थित रहता है, जो मनुष्य को यश व बल प्रदान करता है।
रॉ पाइराइट स्टोन सूर्य के तेज का भौतिक रूप है। जब इसे दक्षिण, आग्नेय या नैऋत्य दिशा में तांबे या पीतल के साथ स्थापित किया जाता है, तो यह धन, शक्ति, आत्मविश्वास और सुरक्षा का स्थायी स्रोत बनता है।
जैसा शास्त्रों ने कहा —
“तेजः प्राणं धनं शौर्यं सूर्याद् लभ्यते नृणाम्।”
अर्थात् तेज, प्राण, धन और शौर्य — सब सूर्य की कृपा से प्राप्त होते हैं।
रॉ पाइराइट उसी सूर्यकृपा का धरती पर अवतार है —
“सौर्य तेज का स्थिर रूप, जो हर घर को समृद्धि, आत्मबल और यश प्रदान करे।”



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