देव दीपावली क्यों मनाई जाती है? जानिए इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

देव दीपावली क्यों मनाई जाती है? जानिए इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

देव दीपावली, जिसे देवों की दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और भव्य पर्व है। यह दीपावली के लगभग पंद्रह दिन बाद, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन गंगा घाटों पर दीप जलाकर देवताओं का स्वागत किया जाता है, इसलिए इसे देवों की दीपावली कहा जाता है।

देव दीपावली विशेष रूप से वाराणसी (काशी) में अत्यधिक श्रद्धा और भव्यता से मनाई जाती है, जहाँ हजारों दीपों से पूरा शहर जगमगा उठता है।

 देव दीपावली का धार्मिक महत्व 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन देवताओं ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध करने के बाद भगवान शिव की आराधना की थी। यह दिन भगवान शिव के “त्रिपुरारी” रूप की विजय का प्रतीक है, इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया, तो देवताओं ने प्रसन्न होकर स्वर्ग से आकर गंगा तट पर दीप प्रज्वलित किए थे। उसी घटना की स्मृति में आज भी इस दिन दीपदान किया जाता है।

 आध्यात्मिक महत्व 

देव दीपावली केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागरण का पर्व भी है।
इस दिन दीप जलाने का अर्थ है — अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश को अपनाना।
गंगा के तट पर दीपदान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है।
भक्त मानते हैं कि इस दिन किए गए दान, स्नान और पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 गंगा स्नान और दीपदान 

देव दीपावली के दिन श्रद्धालु प्रातःकाल गंगा स्नान करते हैं और फिर सायंकाल गंगा के तट पर दीपदान करते हैं।
वाराणसी में दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट जैसे प्रमुख घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं।
यह दृश्य इतना दिव्य होता है कि लगता है मानो आकाश के तारे धरती पर उतर आए हों।

संस्कृति और परंपरा 

इस दिन घाटों पर भव्य आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भक्ति संगीत, और नृत्य प्रस्तुतियाँ आयोजित की जाती हैं।
हजारों भक्त और पर्यटक इस अनोखे दृश्य के साक्षी बनते हैं।
वाराणसी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और पूरे शहर में उत्सव जैसा माहौल रहता है।

 देव दीपावली का संदेश 

देव दीपावली हमें यह सिखाती है कि—

“जहाँ दीप जलता है, वहाँ अंधकार नहीं टिकता।”

यह पर्व हमें सत्य, ज्ञान, और सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
यह हमें याद दिलाता है कि जैसे भगवान शिव ने त्रिपुरासुर पर विजय पाई, वैसे ही हमें अपने भीतर के अंधकार — जैसे अहंकार, क्रोध, और लोभ — पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।

देव दीपावली केवल दीपों का उत्सव नहीं, बल्कि प्रकाश, शांति और भक्ति का प्रतीक है।
यह दिन हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक जागृति और मानवता के प्रकाश को जलाए रखने की प्रेरणा देता है।
काशी की देव दीपावली न केवल भारत की आस्था का प्रतीक है, बल्कि विश्व भर में भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक प्रस्तुत करती है।