मां सिद्धिदात्री: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां सिद्धिदात्री: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां सिद्धिदात्री: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन पूजी जाती हैं। इन्हें सभी सिद्धियों और सिद्धि-प्रद देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, जिससे मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। यह मां दुर्गा का अंतिम और सबसे शक्तिशाली रूप है।

स्वरूप

मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान, चार भुजाओं वाली देवी हैं। उनके हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा, और कमल है। उनके मुख पर शांति और करुणा की छवि विद्यमान होती है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।

पूजा स्थल को शुद्ध जल या गंगा जल से शुद्ध करें।

मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उसे पुष्प, चंदन, रोली, अक्षत से पूजन करें।

सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली और कमल के फूल चढ़ाएं।

मां को प्रसाद में मिष्ठान, पंचमेवा, फल, खीर, नारियल और हलवा अर्पित करें।

मंत्र जप करें: "ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः" या "सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

प्रार्थना और आरती करें।

पूजा के बाद नव कन्या पूजन और भोजन का आयोजन करें।

शुभ मुहूर्त

नवरात्रि की नवमी तिथि में सुबह का ब्रह्म मुहूर्त शुभ होता है।

अभिजीत मुहूर्त और विजय मुहूर्त भी पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।

मंत्र

मुख्य मंत्र:

"ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः"

स्तुति और जाप:

"सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

व्रत-नियम

व्रत में सात्विक भोजन करें या फलाहार ग्रहण करें।

क्रोध, झूठ, मदिरा आदि से परहेज करें।

मां सिद्धिदात्री के मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान रखें।

व्रत के अंत में कन्या पूजन और दान करना शुभ होता है।

भोग

मां सिद्धिदात्री को खीर, हलवा, मिष्ठान्न, फल, पंचमेवा अर्पण करें।

सफेद रंग के खाद्य पदार्थ प्रसाद के रूप में आदर्श माने जाते हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियाँ प्राप्त हुईं, जिसके कारण वह अर्द्धनारीश्वर कहलाए। मां सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें जीवन में सफलता, शांति और निरंतर सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां का यह रूप नवरात्रि के अंतिम दिन सभी भक्तों को विश्वास, शक्ति और समृद्धि प्रदान करता है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा और व्रत से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और अष्ट सिद्धियों की प्राप्ति होती है, इसलिए नवरात्रि के अंतिम दिन उनकी आराधना अत्यंत शुभ मानी जाती है