मां महागौरी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां महागौरी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां महागौरी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां महागौरी नवरात्रि के आठवें दिन पूजी जाती हैं। वे शांति, पवित्रता और करुणा की देवी हैं। इनके सौम्य और उज्ज्वल स्वरूप को देखकर मन को शांति मिलती है। मां महागौरी को हिंदू धर्म में अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है, जो सभी दुखों को दूर करती हैं।

स्वरूप

मां महागौरी का शरीर स्निग्ध गोरा, श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित, चार भुजाओं वाली आती हैं। उनके हाथों में त्रिशूल, डमरु, अभय और वरमुद्रा होती है। मां गौरी सामान्यतः वृषभ (सफेद बैल) पर सवार होती हैं। उनका प्रकाश सौम्य और दिव्य होता है।

पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ एवं श्वेत वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें एवं मां महागौरी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।

मां को सफेद फूल, अक्षत, नारियल, कुमकुम व रोली से तिलक करें।

पंचामृत से स्नान कराएं और पूजा में गंध, धूप, दीपक जलाएं।

मां को हलवा, काला चना और नारियल से बनी मिठाई का भोग अर्पित करें।

मां के मंत्रों का जप करें, जैसे:

"श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥"

पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

शुभ मुहूर्त

प्रातः मुहूर्त: सुबह 4:35 से 6:07 तक।

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:20 तक।

संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 6:40 से 7:50 तक।

मंत्र

मुख्य मंत्र:

"श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥"

स्तोत्र:

"या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"

मंत्र का उच्चारण शुद्ध और श्रद्धापूर्वक करना चाहिए।

व्रत-नियम

व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें, एक समय भोजन लेना उचित है।

झूठ, क्रोध, मदिरा व मांसाहार का त्याग करें।

दिनभर मां के मंत्र का जाप करें और ध्यान करें।

व्रत के समापन पर कन्याओं या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान करें।

भोग

मां महागौरी को हलवा, काला चना, नारियल और सफेद मिठाइयों का भोग लगाया जाता है।

पूजा में उपयुक्त और सात्विक भोजन का भोग निहायत महत्वपूर्ण माना जाता है।

भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।

पौराणिक कथा

मां महागौरी का वर्ण अत्यंत श्वेत और सौम्य है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, महागौरी अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा का स्वरूप हैं। उनका तेज मनुष्य के हृदय को पवित्र करता है और सभी पापों का नाश करता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने मां पार्वती की कठोर तपस्या के बाद उनको यह सुंदर और शुभ रूप दिया। मां महागौरी की पूजा से मृत्युदर को टालने के साथ भक्तों को शांति, समृद्धि, शौर्य और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

मां महागौरी की उपासना से जीवन में शुभता, सौभाग्य और समृद्धि आती है तथा सभी प्रकार के दुख नष्ट होते हैं। नौ दिन के नवरात्रि पर्व में आठवें दिन उनकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है.