मां कालरात्रि: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा
मां कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाती हैं। इन्हें मां काली का भी स्वरूप माना जाता है, जो अंधकार के बीच प्रकाश की तरह उभरती हैं। माता कालरात्रि अपने भक्तों को भय, पाप और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त कर शक्ति और साहस प्रदान करती हैं।
स्वरूप
मां कालरात्रि का शरीर गहरा काला और घना अंधकार सा होता है। उनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्मांड की तरह गोल और तेजस्वी हैं। मां के लंबे बिखरे बाल होते हैं, और गले में बिजली के तंतु जैसी माला स्पंदित रहती है। उनके सात हाथ होते हैं जिनमें वे भाला, त्रिशूल, खड्ग, कांटा, पाश आदि शस्त्र धारण करती हैं। उनकी सवारी गर्दभ (गधा) है। मां का स्वरूप भयंकर और भयावह होते हुए भी भक्तों के लिए अत्यंत करुणामय है।
पूजा-विधि
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
मां को लाल रोली, अक्षत, धूप, दीपक और रातरानी के फूल चढ़ाएं।
गुड़, पंचमेवा एवं फलों का भोग विशेष रूप से अर्पित करें।
मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें, रुद्राक्ष माला से 108 बार मंत्र जप अत्यंत फलदायी होता है।
पूजा के बाद आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद वितरित करें।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:36 AM से 05:22 AM तक
प्रातः संध्या: 04:59 AM से 06:08 AM तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:59 AM से 12:49 PM तक
विजय मुहूर्त: 02:30 PM से 03:20 PM तक
गोधूलि मुहूर्त: 06:39 PM से 07:02 PM तक
अमृत काल: 07:33 PM से 09:07 PM तक
मंत्र
मुख्य मंत्र:
"एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥"
स्तुति बोल:
"वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥"
मंत्र का सही उच्चारण करके श्रद्धा एवं भक्ति से जाप करना चाहिए।
व्रत-नियम
इस दिन व्रत रखने वाले को सात्विक भोजन अथवा फलाहार करना चाहिए।
असत्य, क्रोध, मदिरा, मांसाहार का त्याग करें।
दिनभर माता का ध्यान करें, माता के मंत्रों का जप करें।
व्रत के अंत में मां की आरती करें और प्रसाद बांटें।
भोग
मां कालरात्रि को विशेष रूप से गुड़, पंचमेवा, फलों व मिष्ठान्न का भोग पसंद है।
मां को गुड़ का भोग जरूर अर्पित करें क्योंकि गुड़ को वे अत्यंत प्रिय हैं।
भोग लगाने के बाद प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है।
पौराणिक कथा
मां कालरात्रि देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। जब संसार में पाप और अधर्म का बोलबाला होने लगता है, तब माता कालरात्रि अपने काले और भयंकर रूप में प्रकट होती हैं। उनके तीन नेत्रों से प्रचंड शक्ति का संचार होता है। देवी दुष्टों का संहार करती हैं एवं अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। उनके इस स्वरूप की आराधना से सभी भय, रोग, और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। मां कालरात्रि को वीरता, शक्ति और मोहभंग का प्रतीक माना जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा और व्रत से जीवन में शक्ति, साहस, शांति और समृद्धि आती है, साथ ही सभी प्रकार के अभिशाप से रक्षा मिलती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधिपूर्वक पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है.



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