मां स्कंदमाता: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा
मां स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाती हैं। ये ज्ञान, मातृत्व, करुणा और सुख-समृद्धि की देवी हैं। भक्तों की सच्ची श्रद्धा से मां की कृपा अवश्य प्राप्त होती है.
स्वरूप
मां स्कंदमाता को सिंह पर विराजमान दिखाया जाता है। उनकी चार भुजाएं और एक गोद में भगवान कार्तिकेय (स्कंद) बालरूप में विराजमान हैं। वे दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं, एक भुजा से आशीर्वाद देती हैं व दूसरी से अपने पुत्र स्कंद को गोद में संभाले रहती हैं। उनका रंग अत्यंत उज्ज्वल है और वस्त्र सफेद या पीले होते हैं.
पूजा-विधि
प्रातः स्नान कर शुद्ध पीले या सफेद वस्त्र पहनें।
पूजा स्थान को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करके मां स्कंदमाता की मूर्ति/चित्र को स्थापित करें।
मां की आराधना के लिए रोली, चंदन, कुमकुम, सिन्दूर, पुष्प, धूप-दीप, अक्षत, फल और विशेष रूप से केला अर्पित करें।
स्कंदमाता के लिए आरती गाएं, चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
पूजा के अंत में कलश पूजन करें और भोग अर्पित करें.
शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ: 2 अप्रैल 2025 को प्रातः 7:15 से 8:45 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार).
मंत्र व उनका उच्चारण
बीज मंत्र: "ॐ देवी स्कंदमातायै नमः"
ध्यान मंत्र: "सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥"
स्तुति श्लोक: “या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
मंत्र का उच्चारण साफ, मन से और श्रद्धा के साथ करना चाहिए। रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करें तो उत्तम.
व्रत-नियम
व्रतधारी दिनभर फल, दूध, केला, खीर या सात्त्विक भोजन ही करें।
पूरे दिन संयमित रहें, असत्यभाषण, क्रोध, छल-कपट से दूर रहें।
बार-बार मां के नाम का जाप करें और जरूरतमंदों को दान दें, ब्राह्मण/कन्याओं को भोजन कराएं.
भोग
मां स्कंदमाता को विशेष रूप से केला व खीर का भोग लगाया जाता है, ये दोनों उन्हें अत्यंत प्रिय हैं।
सफेद या पीले रंग की मिठाइयों का भी भोग चढ़ा सकते हैं।
भोग लगाने के बाद प्रसाद परिवार एवं ब्राह्मणों में बांटें.
पौराणिक कथा
स्कंदमाता का संबंध भगवान कार्तिकेय (स्कंद) से है। पुराणों के अनुसार, असुर तारकासुर के आतंक से देवतागण भयभीत थे। तब भगवान शिव-पार्वती के पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) ने असुरों का संहार किया। माता स्कंदमाता ने अपने पुत्र को शक्तिशाली बनाकर उसका वीरत्व और रक्षा का वचन निभाया। इस रूप में मां ज्ञान, शक्ति और ममता का अद्भुत संगम हैं—जो संतान-प्राप्ति, सुख-समृद्धि और विजय की कामना करने वालों के लिए अत्यंत पूज्यनीय हैं.
मां स्कंदमाता की उपासना से जीवन में संतुलन, शांति, संतान-सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही कृपा से भवसागर की कठिनाइयों से पार पाया जा सकता है.



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