मां कूष्मांडा: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा
मां कूष्मांडा नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं। माना जाता है कि इन्हीं की मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की सृष्टि हुई। यह देवी शेर पर सवार अष्टभुजाधारी दिव्य स्वरूप में जग को जीवन-शक्ति प्रदान करती हैं.
स्वरूप
मां कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत दैवी, शांत, मोहक और तेजस्वी है। उनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें क्रमशः धनुष-बाण, कमंडल, कलश, कमल, अमृत-कलश, चक्र, गदा और जापमाला सुशोभित है। वे सिंह पर विराजमान रहती हैं और इनका शरीर सूर्य के समान कांतिमान होता है.
पूजा-विधि
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को पवित्र करें।
लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
देवी को पीले फूल, अक्षत, नारियल, कमल, धूप-दीप तथा पंचामृत अर्पित करें।
पूजा में मालपुआ, बताशा, पेठा, फल आदि का भोग लगाएं।
श्रद्धा से देवी स्तुति, मंत्र और आरती करें.
शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः सूर्य उदय के समय या अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पूजा के लिए प्रातः 6:00 से 9:00 बजे तक का समय उत्तम है.
मुख्य मंत्र एवं उच्चारण
बीज मंत्र:
"ॐ कूष्माण्डायै नमः"
ध्यान मंत्र:
"वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥"
स्तुति श्लोक:
"या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।"
मंत्र स्वच्छ उच्चारण के साथ 11, 21 या 108 बार जपें.
व्रत और नियम
व्रत रखने वाले केवल फलाहार, दूध, जल या सात्विक भोजन लें।
क्रोध, झूठ से बचें और पूरे दिन माता के ध्यान में रहें।
दिनभर माता के मंत्र जप व भजन करें।
संध्या समय फिर से देवी-पूजन और आरती करें.
भोग
मां कूष्मांडा को मालपुआ, बताशे, पेठा, कद्दू अथवा विविध फल अर्पित करने का विशेष महत्व है।
सफेद और पीले रंग के मिठाइयां, खासकर पेठा और मालपुआ प्रमुख भोग माने जाते हैं।
भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटें.
पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी ने ब्रह्मांड के शून्य में मंद हास्य से सृष्टि की रचना की थी, इसी कारण नाम “कूष्मांडा” पड़ा (कुम्हड़े की उत्पत्ति का संकेत)। माता अष्टभुजा स्वरूप हैं, जो अपने भक्तों की सभी प्रकार की बीमारियां, भय, दुख दूर करती हैं और उन्हें सुख, शक्ति, आयु व समृद्धि प्रदान करती हैं.
मां कूष्मांडा की श्रद्धापूर्वक पूजा करके भक्त जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति, विद्या, आयु, आरोग्य और केशवत्व प्राप्त करता है



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