मां चंद्रघंटा: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां चंद्रघंटा: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां चंद्रघंटा: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। वे शक्ति, करुणा, विजय और शांति की देवी हैं। मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और भव्य है, जो भक्तों के कष्टों को दूर करती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

मां चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होता है, इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। उनका रूप सोने जैसा चमकीला और दयालु होता है। वे दशहाथा हैं जिनके हाथों में कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि अस्त्र हैं। इनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। मां का स्वरूप युद्ध के लिए तैयार तेजस्वी माता का भी रूप है।

पूजा-विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ कपड़े पहनें।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें तथा मां की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।

मां को पीले या लाल वस्त्र अर्पित करें।

सिंदूर, अक्षत, चंदन, गुलाब या गेंदे के फूल अर्पित करें। खास तौर पर लाल व पीले फूल प्रिय हैं।

दूध या घी से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं; केसर की खीर बहुत प्रिय है।

मां चंद्रघंटा के मंत्रों का उच्चारण करें:

"ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः"

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

अंत में धूप-दीप जलाएं, आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के तीसरे दिन, चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि प्रारंभ शाम 5:32 बजे से अगले दिन दोपहर 3:03 बजे तक रहती है। पूजा ब्रह्म मुहूर्त या प्रातः 4:30 से 7:00 बजे के बीच करना शुभ रहता है।

मंत्र और उनका उच्चारण

मुख्य मंत्र:

"ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः"

108 बार जप करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ होता है।

श्लोक:

"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।"

मंत्र का उच्चारण स्पष्ट, श्रद्धापूर्वक और सुमधुर होना चाहिए। उपासना के दौरान माला से जाप करें जिससे ध्यान केंद्रित रहता है।

व्रत और नियम

पूरे दिन सात्विक भोजन लें। मांस, मदिरा, नींद अधिक न लें।

व्रत रखने वाले दिन केवल फलाहार या एक समय भोजन करें।

सच बोलें, क्रोध और नकारात्मक विचार त्यागें।

श्रद्धा से माता का ध्यान करें और उनकी शक्ति को महसूस करें।

व्रत के अंत में मां की पूजा कर प्रसाद वितरित करें और परिवार में सुख-समृद्धि का संचार करें।

भोग

मां चंद्रघंटा को विशेष रूप से दूध से बनी मिठाइयाँ, केसर की खीर और शक्कर पसंद हैं।

इसके अलावा, लौंग, इलायची, पंचमेवा मिलाकर बनी मिठाइयां भी भोग में चढ़ाई जा सकती हैं।

भोग को जल, फूल और मंत्रों के साथ सात्विक भाव से अर्पित करें।

पौराणिक कथा

मां चंद्रघंटा का नाम उनके शीश पर स्थित घंटे के आकार के अर्धचंद्र से पड़ा। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, वे देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप हैं, जो भक्तों की रक्षा के लिए शक्तिशाली और वीर हैं। उनका सिंह वाहन शक्ति और साहस का प्रतीक है। मां चंद्रघंटा अज्ञान के अंधकार को दूर कर जीवन में प्रकाश और विजय प्रदान करती हैं। उनके पूजन से भक्तों को शारीरिक और मानसिक संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।

मां चंद्रघंटा की पूजा न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि आस्था और आध्यात्मिक उन्नति का द्वार भी खोलती है। उनकी कृपा से जीवन में खुशहाली, साहस और समृद्धि आती है। नवरात्रि के तीसरे दिन विधिपूर्वक उनकी पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में शांति का वास होता है।