भवन निर्माण में राहु मुख का विचार क्यों आवश्यक है?

भवन निर्माण में राहु मुख का विचार क्यों आवश्यक है?

भूमि खनन से पहले राहु मुख की स्थिति को समझें

भवन निर्माण में वास्तुशास्त्र के अनुसार कई महत्वपूर्ण नियम होते हैं, जिनमें से एक है राहु मुख का विचार। वास्तुशास्त्र के अनुसार, हर भूखंड में राहु सर्पाकार रूप में लेटा हुआ माना जाता है। यदि भूमि खनन के दौरान राहु के शरीर के किसी भाग पर प्रहार हो जाए, तो यह गृहस्वामी के लिए अनिष्टकारी हो सकता है। इसलिए, भूमि खनन की शुरुआत सही दिशा से ही करनी चाहिए।

कैसे जानें राहु की स्थिति?

राहु मुख की स्थिति सूर्य के गोचर के अनुसार बदलती रहती है। निम्नलिखित नियमों के अनुसार इसका निर्धारण किया जाता है:

सूर्य की स्थिति

राहु मुख की दिशा

वृष, मिथुन, कर्क

आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व)

सिंह, कन्या, तुला

ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)

वृश्चिक, धनु, मकर

वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम)

कुम्भ, मीन, मेष

 नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम)

राहु का मुख जिस कोण में होता है, उसके पिछले दो कोणों में राहु का पेट और पूंछ स्थित होते हैं। इसलिए, पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा से भूमि खनन नहीं करना चाहिए।

नींव खुदाई की सही दिशा

सूर्य यदि वृष, मिथुन, कर्क राशि में हो, तो नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) से खुदाई करें।

सूर्य यदि सिंह, कन्या, तुला राशि में हो, तो आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) से खुदाई करें।

सूर्य यदि वृश्चिक, धनु, मकर राशि में हो, तो ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) से खुदाई करें।

सूर्य यदि कुम्भ, मीन, मेष राशि में हो, तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) से खुदाई करें।

महत्वपूर्ण: भूमि खनन के लिए पंचांग शुद्धि एवं भद्रा-दोष रहित मुहूर्त का विचार करना अनिवार्य है।

भूमि पूजन की विधि

भूमि पूजन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए आवश्यक है। यह पूजन शुभ मुहूर्त में किसी योग्य पंडित के द्वारा किया जाना चाहिए।

आवश्यक सामग्री

गंगाजल, आम और पान के पत्ते, फूल, रोली, चावल, कलावा

लाल सूती कपड़ा, कपूर, देशी घी, कलश, फल, दूर्वा

नाग-नागिन की जोड़ी, लौंग, इलायची, सुपारी, धूप-अगरबत्ती, सिक्के, हल्दी पाउडर

पूजन की प्रक्रिया

भूमि की सफाई करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।

गृह स्वामी पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे एवं पंडित उत्तर दिशा की ओर बैठे।

शरीर, स्थान और आसन की शुद्धि करने के लिए मंत्रों का जाप करें।

भगवान गणेश की पूजा कर भूमि पूजन आरंभ करें।

विशेष रूप से नाग एवं कलश की पूजा करें, क्योंकि यह भूमि के रक्षक होते हैं।

शेषनाग की स्तुति करें, क्योंकि पाताल लोक के स्वामी भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग होते हैं।

भवन निर्माण में राहु मुख का विचार न करना गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है। सही दिशा में भूमि खनन और वास्तु नियमों का पालन करने से गृहस्वामी के जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति बनी रहती है। अतः, नींव खुदाई से पहले पंचांग और वास्तु का विचार अवश्य करें।