
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार, यदि अमावस्या या पूर्णिमा के दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होता है, तो यह अगले 30 दिनों में महत्वपूर्ण राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों का संकेत देता है। उदाहरण के लिए, 12 फरवरी 2025 को सूर्य ने कुंभ राशि में प्रवेश किया, जो माघ पूर्णिमा के दिन हुआ। इससे अगले 30 दिनों में भारत और विश्व स्तर पर कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हो सकती हैं।
मेदिनी ज्योतिष (Mundane Astrology) के अनुसार यदि अमावस्या अथवा पूर्णिमा के दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो यह संयोग अगले 30 दिनों के अंतराल में बड़े राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन लाने वाला होता है।
इस वर्ष माघ पूर्णिमा के दिन 12 फरवरी 2025 की शाम को 7:31:30 पर सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं. प्रवेश के समय सिंह लग्न का उदय हो रहा था एवं चंद्रमा स्वयं लग्न में ही स्थित थे. इस प्रकार लग्न एवं चंद्र राशि दोनों के स्वामी सूर्य थे. इस दिन पूर्णिमा होने के कारण सूर्य चंद्रमा के ठीक विपरीत सप्तम भाव में स्थित थे. सप्तम भाव में ही सूर्य के साथ शनि एवं बुद्ध (अस्त्), अष्टम भाव में उच्च के शुक्र तथा राहु, दशम भाव में बृहस्पति, 11वें भाव में मंगल (वक्री) तथा द्वितीय भाव में केतु गोचर कर रहे थे.
इस ग्रह गोचर के अनुसार निकट भविष्य में निम्न महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन की प्रबल संभावना दिखाई पड़ती है ;
(1). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की विदेश यात्रा :
मेदनी ज्योतिष के अनुसार सप्तम भाव देश की विदेश नीति, कूटनीतिक संबंध एवं विदेश व्यापार का भाव होता है इसलिए सप्तम भाव में सूर्य गोचर की स्थिति भारत एवं अमेरिका के मध्य द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंध एवं विदेश व्यापार का अमेरिका के पक्ष में परिवर्तित होने का प्रबल योग बनता है।
(2). कृषि उत्पाद एवं डेरी प्रोडक्ट का व्यापार अनुबंध :
सप्तम भाव में सूर्य की युति के साथ शनि का गोचर दर्शाता है कि इस यात्रा के दौरान अमेरिका अपने कृषि उत्पादों, एडिबल ऑयल एवं डेरी प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी कम करते हुए भारतीय बाजार उपलब्ध कराने का प्रबल आग्रह करेगा. फल स्वरुप भारतवर्ष के कृषकों को अपने उत्पाद का दाम और कम मिलने की संभावना उत्पन्न होगी क्योंकि बाजार में पहले से सस्ते दामों पर अधिक मात्रा में विदेशी उत्पाद उपलब्ध होने लगेंगे.
(3) इसके अतिरिक्त भारत अमेरिका से कच्चे तेल, रक्षा संबंधी समान, तकनीकी उत्पाद एवं मोटर गाड़ियों आदि के लिए अपने बाज़ार को भी अधिक उदारता से खोलने के लिए राज़ी हो जाएगा।
(4) सप्तम भाव में ही बुध (अस्त) शनि से युति के साथ का गोचर दर्शाता है कि अमेरिका कम्युनिकेशन / इंटरनेट की तकनीकी (स्टरलिंक) को भारत में प्रारंभ करने के लिए दबाव बनाएगा जिसे भारत द्वारा अनुमति देने के लिए विवश होना पड़ेगा यद्यपि वह भारत के स्थानीय व्यापारियों के हित में नहीं होगा.
(5). व्यापार संतुलन पर प्रभाव :
द्वितीय भाव में स्थित केतू दर्शाता है कि इस यात्रा के दौरान विभिन्न व्यावसायिक अनुबंधों का भारत - अमेरिका के मध्य व्यापार संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारत को अमेरिका से डॉलर देकर ज्यादा समान आयात करना पड़ेगा जिसके कारण निकट भविष्य में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में और अधिक कमी होगी तथा भारतीय रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर और अधिक मजबूत होता जाएगा.
(6). फाइनेंस बिल 2025 :
11वीं भाव में स्थित वक्री मंगल तथा 11 में भाव का स्वामी बुध अस्त होने के कारण सूर्य की कुंभ संक्रांति के बाद संसद में पेश किए जाने वाला फाइनेंस बिल में "घरेलू सकल उत्पाद" की तुलना में आगामी वर्ष 2025-26 मैं देश का वित्तीय घाटा बढ़ने के प्रबल संकेत दिखाई पड़ते हैं जो कमजोर आर्थिक स्थिति को कमजोर प्रदर्शित करता है.
(7). अप्रवासी भारतीयों की वापसी का प्रकरण :
12वीं भाव का स्वामी चंद्रमा के लग्न में स्थित होने के कारण स्पष्ट है कि निकट भविष्य में अप्रवासी भारतीयों की यथावत वापसी के पूर्ण योग बने हुए हैं. इस प्रकरण में अमेरिका द्वारा किसी प्रकार की छूट नहीं प्रदान की जाएगी.
(8). केंद्र एवं राज्य सरकारों के मंत्रिमंडल तथा वरिष्ठ अधिकारियों मैं बदलाव :
कुंभ संक्रांति कि इस कुंडली में अष्टम भाव (परिवर्तन भाव) के अधिपति बृहस्पति का दशम भाव (राज सत्ता भाव) में गोचर करना और दशमेश शुक्र का अष्टम भाव में राहु के साथ गोचर केंद्र और कई राज्य सरकारों में कुछ बड़े मंत्रियों एवं अधिकारीयों के बदलाव का संकेत है। मार्च 2025 के अंत तक केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा बिहार राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव और विवाद होने की प्रबल संकेत दिखाई पड़ रहे हैं।
(8) जल तत्व की कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशियों का इस कुंभ संक्रांति की कुंडली में क्रमशः 12वीं, चतुर्थ एवं अष्टम भाव में होना यह दर्शाता है कि निकट भविष्य में पड़ोसी देशों विशेष रूप से समुद्र के तटीय देश श्रीलंका और बांग्लादेश से कूटनीतिक संबंधों में नकारात्मकता और अधिक बढ़ेगी तथा घरेलू स्तर पर नदियों एवं समुद्र में दुर्घटना होने के भी प्रबल संकेत दिखाई पड़ते हैं. इस अवधि में महाकुंभ के अंतिम प्रमुख स्नान के आसपास प्रशासनिक व्यवस्था को अत्यधिक संवेदनशील एवं चुस्त बनाने की आवश्यकता होगी.
विश्लेषक एवं शोधकर्ता :
प्रोफेसर (डॉ.) अनिल मित्रा
M.Sc. MBA, Ph.D. D.Litt. (H.C.) Jyotish Mahamahopadha
Founder CEO, GFAS, Delhi
0 Comment's