काशी विश्वनाथ मंदिर की कथा और ज्योतिर्लिंग का महत्व

काशी विश्वनाथ  मंदिर की कथा और ज्योतिर्लिंग का महत्व

काशी विश्वनाथ मंदिर का परिचय

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) शहर में स्थित है। इस मंदिर को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसे मोक्ष प्राप्ति का द्वार कहा जाता है।

काशी को "महादेव की नगरी" कहा जाता है और यहाँ के विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा अपरंपार मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

1. भगवान शिव की प्रिय काशी नगरी

पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई थी, तब भगवान शिव ने काशी को अपने निवास स्थान के रूप में चुना था।

काशी को "अविमुक्त क्षेत्र" कहा जाता है क्योंकि यहाँ भगवान शिव स्वयं सदैव विराजमान रहते हैं।

यह भी कहा जाता है कि जब प्रलय आता है, तो पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाती है, लेकिन काशी नगरी भगवान शिव की शक्ति से सुरक्षित रहती है

2. ब्रह्मा और विष्णु का विवाद

एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात को लेकर विवाद हुआ कि सर्वोच्च देवता कौन है

दोनों देवताओं ने भगवान शिव से निर्णय लेने के लिए प्रार्थना की।

भगवान शिव ने एक अग्नि स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) प्रकट किया, जिसका कोई आदि और अंत नहीं था

उन्होंने कहा कि जो भी इस स्तंभ का आदि या अंत खोज लेगा, वही सर्वश्रेष्ठ होगा।

भगवान विष्णु ने नीचे की ओर जाकर खोजने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।

भगवान ब्रह्मा ने झूठ बोलकर कहा कि उन्होंने इसका आदि खोज लिया है।

इससे भगवान शिव क्रोधित हुए और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी कोई पूजा नहीं होगी

भगवान विष्णु ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और भगवान शिव की स्तुति की।

तब भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व

1. मोक्ष प्राप्ति का द्वार

ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति काशी में प्राण त्यागता है, उसे स्वयं भगवान शिव तारक मंत्र देकर मोक्ष प्रदान करते हैं

इसीलिए अनेक साधु-संत और भक्त अपने जीवन के अंतिम समय में काशी में रहना पसंद करते हैं।

2. काशी की महिमा

काशी को "अमृत भूमि" कहा जाता है, जहाँ भगवान शिव स्वयं निवास करते हैं।

यह माना जाता है कि यहाँ मृत्यु भी मोक्षदायिनी होती है।

3. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख

काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख माना जाता है।

यहाँ दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

1. प्राचीन मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख महाभारत, स्कंद पुराण और अन्य ग्रंथों में मिलता है।

इस मंदिर को कई बार आक्रमणकारियों ने नष्ट किया और पुनः बनाया गया।

2. औरंगजेब द्वारा विध्वंस और पुनर्निर्माण

1669 ई. में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया और वहाँ ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।

1780 ई. में मल्हारराव होल्कर की पुत्री महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

3. आधुनिक पुनरुद्धार

2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया, जिससे मंदिर तक पहुँचने का मार्ग सुगम हो गया और मंदिर परिसर का विस्तार हुआ।

काशी विश्वनाथ मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग

स्थान

राज्य – उत्तर प्रदेश

शहर – वाराणसी (काशी)

परिस्थिति – गंगा नदी के तट पर स्थित

कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (25 किमी) है।

रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी जंक्शन (5 किमी) है।

सड़क मार्ग – वाराणसी भारत के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

मंदिर में भगवान शिव का सोने का श्रृंगार होता है, जिसे विशेष अवसरों पर श्रद्धालु देख सकते हैं।

गंगा आरती और काशी दर्शन यहाँ की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

यहाँ आने वाले भक्तों को अन्नपूर्णा देवी मंदिर, काल भैरव मंदिर और संकट मोचन हनुमान मंदिर के दर्शन भी अवश्य करने चाहिए।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की अनंत शक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली कृपा का प्रतीक है।

जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से यहाँ पूजा-अर्चना करता है, उसे जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है

क्या आप इस पवित्र धाम की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं?