
भीमाशंकर मंदिर का परिचय
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। यह मंदिर घने जंगलों और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, जहाँ से भीमा नदी का उद्गम होता है। इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान शिव की भीमकार (विशाल) शक्ति से जोड़ा जाता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
1. त्रिपुरासुर वध की कथा
पुराणों के अनुसार, एक समय त्रिपुरासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस ने अपनी कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया और अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया।
वरदान पाकर त्रिपुरासुर ने देवताओं और ऋषियों को कष्ट देना शुरू कर दिया।
देवताओं ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की।
भगवान शिव ने कार्तिकेय (स्कंद) के साथ मिलकर त्रिपुरासुर का वध किया।
इस युद्ध के बाद भगवान शिव अत्यधिक थक गए और उनका शरीर पसीने से भीग गया।
उनके पसीने की कुछ बूंदों से यहाँ भीमा नदी का जन्म हुआ।
देवताओं ने भगवान शिव से यहाँ स्थायी रूप से रहने का अनुरोध किया, तब भगवान शिव ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान होने का निर्णय लिया।
इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
2. कुंभकर्ण के पुत्र भीम की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, रावण के भाई कुंभकर्ण का पुत्र भीम बचपन से ही भगवान विष्णु से घृणा करता था।
जब उसे यह पता चला कि उसके पिता को भगवान राम (विष्णु अवतार) ने मारा था, तो उसने बदला लेने के लिए कठोर तपस्या शुरू की।
ब्रह्मा जी ने उसे अपार शक्ति और अजेय होने का वरदान दिया।
वरदान पाकर उसने पृथ्वी और स्वर्ग में आतंक मचाना शुरू कर दिया और अपने विरोधियों को कैद कर लिया।
जब उसने एक शिवभक्त कश्यप ऋषि को बंदी बना लिया, तो भगवान शिव को अत्यंत क्रोध आया।
उन्होंने स्वयं युद्ध करके भीम का संहार किया।
युद्ध के बाद, देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने यहाँ भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने का वचन दिया।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व
1. सह्याद्रि पर्वत और भीमा नदी
भीमाशंकर मंदिर सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के घने जंगलों में स्थित है। यह स्थान पवित्र इसलिए भी है क्योंकि यहाँ से भीमा नदी निकलती है, जिसे गंगा की तरह पवित्र माना जाता है।
2. दक्षिणामूर्ति शिवलिंग
यहाँ स्थित शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः उत्पन्न) है और इसे दक्षिणामूर्ति शिवलिंग कहा जाता है, क्योंकि भगवान शिव यहाँ दक्षिण दिशा की ओर मुख करके स्थित हैं।
3. आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य
भीमाशंकर मंदिर दुर्गम पहाड़ियों और हरियाली से घिरा हुआ है, जिससे यह स्थान एक अद्वितीय आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल बन जाता है।
4. शिव शक्ति का संगम
यहाँ भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है, जिससे यह मंदिर शिव-शक्ति का एक अद्भुत केंद्र बन जाता है।
भीमाशंकर मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग
स्थान
राज्य – महाराष्ट्र
जिला – पुणे
परिस्थिति – सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के घने जंगलों में स्थित
कैसे पहुँचे?
हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा पुणे एयरपोर्ट (110 किमी) है।
रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे जंक्शन है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग – पुणे, मुंबई और नासिक से भीमाशंकर तक बसें और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ विशेष रूप से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
भीमाशंकर मंदिर के आसपास का क्षेत्र एक वन्यजीव अभयारण्य (भीमाशंकर वाइल्डलाइफ सेंचुरी) है, जहाँ दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी और जानवर पाए जाते हैं।
भीमाशंकर मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है, जो अत्यंत आकर्षक और प्राचीन है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग आध्यात्मिक, पौराणिक और प्राकृतिक रूप से एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर राक्षसों का संहार किया था, इसलिए यह स्थल शक्ति और भक्ति दोनों का प्रतीक है।
क्या आप इस पवित्र धाम की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं?
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