
ओंकारेश्वर मंदिर का परिचय
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के बीच स्थित मंधाता पर्वत (ओंकार पर्वत) पर स्थित है, जो स्वयं "ॐ" (ओंकार) के आकार का है। इसीलिए इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है। यह स्थान शिवभक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखता है।
ओंकारेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा
कथा 1: विन्ध्याचल पर्वत की कथा
पुराणों के अनुसार, प्राचीन काल में विन्ध्याचल पर्वत (विन्ध्य पर्वत श्रृंखला) को यह अहंकार हो गया कि वह सबसे ऊँचा पर्वत है। उसने अपनी इस श्रेष्ठता को सिद्ध करने के लिए कठोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया।
भगवान शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि वह और ऊँचा हो सकता है। लेकिन इस वरदान से दुनिया के अन्य हिस्सों में असंतुलन उत्पन्न हो गया। ऋषियों और देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस समस्या का समाधान करें।
भगवान शिव ने विन्ध्य पर्वत को समझाया और उसके अहंकार को समाप्त किया। इसी स्थान पर उन्होंने ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होकर निवास करने का वचन दिया, जिसे आज हम ओंकारेश्वर के रूप में पूजते हैं।
कथा 2: राजा मंधाता की कथा
राजा मंधाता, जो इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा थे, ने यहाँ घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहाँ प्रकट हुए और ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
इसी कारण इस पर्वत को मंधाता पर्वत भी कहा जाता है, और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को राजा मंधाता की तपस्या से भी जोड़ा जाता है।
कथा 3: दानवों पर शिव कृपा
एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और वे हारने लगे। देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की, तब भगवान शिव ने ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर दानवों का संहार किया और देवताओं की रक्षा की।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
1. ओंकार पर्वत और ॐ का स्वरूप
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित है, जिसका आकार "ॐ" के समान माना जाता है। इसलिए इस स्थान को विशेष आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है।
2. दो ज्योतिर्लिंग – ओंकारेश्वर और ममलेश्वर
ओंकारेश्वर क्षेत्र में दो ज्योतिर्लिंग हैं:
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित है।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह नर्मदा नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है। इसे "अमरेश्वर" ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब आदि शंकराचार्य जी ओंकारेश्वर आए थे, तब उन्होंने शिव से ज्ञान प्राप्त किया और यहां के महत्व को दुनिया को बताया।
3. पवित्र नर्मदा नदी का संगम
यह मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है, जिसे हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी नदी माना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ स्नान करने और ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
4. मोक्ष प्राप्ति का स्थान
स्कंद पुराण के अनुसार, जो भक्त ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है और वह शिवलोक को प्राप्त करता है।
ओंकारेश्वर मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग
स्थान
राज्य – मध्य प्रदेश
जिला – खंडवा
नदी – नर्मदा नदी के तट पर
कैसे पहुँचे?
हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (80 किमी) में स्थित है।
रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन ओंकारेश्वर रोड (12 किमी) और खंडवा (70 किमी) हैं।
सड़क मार्ग – इंदौर, उज्जैन, और अन्य शहरों से बसें और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
ओंकार पर्वत की परिक्रमा – यहाँ श्रद्धालु नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित "ॐ" आकार के पर्वत की परिक्रमा करते हैं, जिससे विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि उत्सव – यहाँ महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा और मेला लगता है।
नर्मदा आरती – प्रतिदिन शाम को नर्मदा आरती का आयोजन होता है, जो अत्यंत भव्य और दिव्य होता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक पवित्र और दिव्य तीर्थ स्थल है, जहाँ शिवभक्तों को अनंत शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्थान केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भी प्रसिद्ध है।
क्या आप इस दिव्य स्थल की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं?
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