![पश्चिममुखी हनुमान जी का स्वरूप और उनके लाभ](https://allso.in/brand_admin/main/uploads/blog/pashimmukhihanuman.jpg)
हनुमान जी के अनेक रूपों में एक महत्वपूर्ण रूप है "पश्चिममुखी हनुमान जी"। इस रूप में हनुमान जी का चेहरा पश्चिम दिशा की ओर होता है, और यह स्वरूप विशेष रूप से संकटमोचन के रूप में पूजा जाता है। पश्चिममुखी हनुमान जी को गरुड़ रूप में पूजा जाता है, जिसमें उनकी मुद्रा और रूप में भी गरुड़ के समान ताकत और शक्ति का संकेत मिलता है।
पश्चिममुखी हनुमान जी का स्वरूप:
पश्चिममुखी हनुमान जी का रूप अत्यधिक प्रभावशाली और बलशाली होता है। यह स्वरूप हनुमान जी के उन अद्वितीय गुणों को प्रकट करता है जो संकटों को समाप्त करने में सक्षम हैं। गरुड़ रूप में हनुमान जी को चित्रित किया जाता है, जिसमें उनके शरीर के अंग और姿 (मुद्रा) गरुड़ के पंखों और शक्ति का प्रतीक होते हैं। इसके अलावा, यह रूप उनके तेजस्वी और निर्णायक स्वभाव को दर्शाता है।
पश्चिममुखी हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी मानी जाती है, जो जीवन में आ रहे निरंतर संकटों और समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। इस रूप में हनुमान जी की आराधना से जीवन में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
पश्चिममुखी हनुमान जी के लाभ:
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संकटों का नाश: पश्चिममुखी हनुमान जी की पूजा से जीवन के तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है। खासकर मानसिक और भौतिक बाधाओं से निपटने में यह रूप प्रभावी होता है।
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शत्रु का नाश: यदि किसी को शत्रुओं द्वारा परेशानी हो रही है, तो पश्चिममुखी हनुमान जी की आराधना से शत्रु पर काबू पाया जा सकता है। यह रूप विशेष रूप से शत्रु नाशक माना जाता है।
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बाधाओं का दूर होना: कई बार व्यक्ति अपनी परेशानियों के कारण महसूस करता है कि उसे किसी भी प्रयास में सफलता नहीं मिल रही। पश्चिममुखी हनुमान जी की पूजा से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
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संपत्ति की वृद्धि: जो लोग आर्थिक तंगी या संपत्ति के अभाव से जूझ रहे हैं, उन्हें पश्चिममुखी हनुमान जी की पूजा से समृद्धि और धन प्राप्ति में मदद मिलती है।
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शक्ति और साहस में वृद्धि: इस स्वरूप की आराधना से व्यक्ति में अपार साहस और शक्ति का संचार होता है। यह रूप मानसिक और शारीरिक बल को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपनी कठिनाइयों का सामना मजबूती से कर सकता है।
पूजा विधि:
पश्चिममुखी हनुमान जी की पूजा विशेष विधि से की जाती है, जिसमें हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमान अष्टकश्लोक, और हनुमान जी के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। साथ ही, इस पूजा में ताजे फूल, दीपक, और चंदन का प्रयोग भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
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