वास्‍तु में उत्तर और दक्षिण-पश्चिम दिशा का महत्व समृद्धि और स्थिरता के उपाय

 वास्‍तु में उत्तर और दक्षिण-पश्चिम दिशा का महत्व समृद्धि और स्थिरता के उपाय

सभी दिशाओं का वास्‍तु में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) और दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) दिशाओं का विशेष महत्व है। अगर घर में उत्तर दिशा वास्‍तु दोष मुक्त हो, तो धन-संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिशा के स्वामी कुबेर हैं, जो धन के देवता माने जाते हैं।

उत्तर दिशा का महत्व

यह दिशा आर्थिक गतिविधियों के लिए शुभ मानी जाती है।

उत्तर दिशा में खुला स्थान सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

यह धन, आराम, और जीवन के सभी सुख प्रदान करती है।

जब घर का निर्माण किया जाए, तो वास्‍तु विशेषज्ञ की सलाह लेकर वास्‍तु सिद्धांतों को घर की योजना में शामिल करें।

इससे मानसिक शांति और समग्र विकास प्राप्त होता है।

उत्तर-पूर्व (ईशान कोण)  ईशान कोण को घर का "सिर" कहा जाता है। अगर इस दिशा में दोष हो, तो यह मानसिक तनाव और जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।

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ईशान कोण के दोष और उनके प्रभाव:

ईशान कोण में कटाव:  प्रगति में रुकावट।  धन हानि और संतान की समस्या।

गोल आकार:  इस दिशा को गोल आकार में डिजाइन न करें।

टॉयलेट:  ईशान कोण में टॉयलेट होने से बीमारियां और असफलता का सामना करना पड़ सकता है।

शयनकक्ष:  नवविवाहित दंपत्ति के लिए ईशान कोण में शयनकक्ष वर्जित है।  यह पीढ़ी वृद्धि में बाधा डालता है।

सीढ़ियां:  ईशान कोण में सीढ़ियां होने से धन की हानि, स्वास्थ्य समस्याएं, और कर्ज बढ़ता है।

रसोई:  ईशान कोण में रसोई बनाना खर्चों में वृद्धि और मानसिक तनाव का कारण बनता है।

मंदिर:  इस दिशा में पूजा स्थल बनाना शुभ माना जाता है।


ईशान कोण को कैसे रखें शुभ:

इस क्षेत्र को हल्का, साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें।

यहां पानी का स्रोत (जैसे, हैंड पंप या भूमिगत जल टंकी) बनाना समृद्धि को आकर्षित करता है।

ईशान मुखी घर वास्‍तु के अनुसार शुभ माने जाते हैं।

तुलसी और छोटे फूलों के पौधे लगाने के लिए यह आदर्श स्थान है।

इस दिशा में विस्तार (एक्सटेंशन) करना जीवन के सुख और समृद्धि को बढ़ाता है।


दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण)

नैऋत्य कोण को घर का "पैर" कहा जाता है। यह स्थिरता और आधार प्रदान करता है।

नैऋत्य कोण का सही उपयोग:

शयनकक्ष:  घर के स्वामी के शयनकक्ष के लिए यह आदर्श स्थान है।

ऊंचाई:  नैऋत्य कोण को घर के अन्य भागों की तुलना में ऊंचा रखें।

भारी सामान:  इस क्षेत्र में भारी सामान रखना चाहिए। कोण 90 डिग्री का होना चाहिए।

नैऋत्य कोण में क्या न करें:

यहां मंदिर या लिविंग एरिया न बनाएं।

बाथरूम, टॉयलेट या बोरवेल न बनाएं।

दक्षिण या पश्चिम दिशा में ढलान न हो।

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विशेष ध्यान देने योग्य बातें:

ईशान और नैऋत्य कोण में दोष होने से मानसिक तनाव, धन की हानि, और पारिवारिक समस्याएं बढ़ सकती हैं।

वास्‍तु सिद्धांतों का पालन करके इन दिशाओं का सही उपयोग करें और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें।