शरीर के 7 चक्र के कारण 7 प्रकार के हस्त भी 7 प्रकार के होते है
जिस चक्र की ऊर्जा ज्यादा होती है , उसी चक्र से प्रभावित हमारा हाथ होता है
हस्त शब्द संस्कृत से बना है जिसमे ह शब्द हमारे हृदय चक्र का है स्त मतलब स्थित होना
जो हमारे मन रूपी हृदय में होता है वही हाथ की बनावट से समझा जा सकता है
रेखा शब्द हमारे मणिपुर चक्र का है जो हमारे जीवन का प्रितिबिम्ब है
इसलिए जाने हस्त के प्रकार से अपने चक्र और भविष्य को डॉ चक्र आचार्य से हाथों के प्रकार
हस्तरेखा के अंतर्गत हाथों को मुख्यतः 7 भागों में विभाजित किया गया है
1. प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ 2. वर्गाकार अथवा चौरस हाथ
3. चमचाकार अथवा कर्मठ हाथ 4. दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ
5. कलात्मक अथवा नुकीला हाथ 6. आदर्श हाथ 7. मिश्रित हाथ
1. प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ
हाथ के पहले प्रकार में प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ आता है। ऐसे हाथ वाले जातकों के मस्तिष्क का विकास बहुत कम होता है। ऐसे जातकों का वैचारिक स्तर अत्यंत निम्न कोटि का होता है। ऐसे हाथ देखने में बड़े मोटे, भद्दे, सख्त बेढंगें एवं भारी हथेली वाले होते हैं तथा इनकी उंगलियां भी छोटी, बेढंगीं, अंगूठा भी छोटा व मोटा और नाखून छोटे होते हैं। इस हाथ वाले वाले व्यक्ति जल्दी आवेश में आ जाते जाते हैं। ऐसे हाथ वाले जातक स्वयं में बुद्धिमान नहीं होते हैं इसलिए दूसरों की नकल करने की प्रवृत्ति पाई जाती है। इनमें अपराधी प्रवृत्ति अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक पाई जाती है।
Dr.Chandra Shekhar Sharma Astrologer Astrologer & Vedic Astrologer With 20 Years Of Experience
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2. वर्गाकार अथवा चौरस हाथ :—
हाथ के दूसरे प्रकार में वर्गाकार अथवा चौरस हाथ आता है। इस प्रकार के हाथों की हथेलियाँ कलाई के पास वर्गाकार अथवा चौरस होती है तथा उंगलियों की जड़ें एवं उंगलियां भी वर्गाकार अथवा चौरस प्रतीत होती है। वर्गाकार हाथ की हथेली और उंगलियों के सिरे भी चौरस होते हैं। वर्गाकार हाथ को उपयोगी हाथ भी कहा जा सकता है। ऐसे हाथों के नाखून भी प्रायः छोटे और वर्गाकार अथवा चौरस होते हैं। इन हाथों की उंगलियों में गांठें विशेष रूप से दिखाई देती है वर्गाकार हाथों की उंगलियां एक विशेष लचक लिए होती हैं। इस प्रकार के हाथों वाले जातक प्रायः बुद्धिजीवी होते हैं। समाज के लिए ये कुछ ऐसा कर जाते हैं कि आने वाले समय में इन्हें याद किया जाता है। अपने समाज के प्रधान रहकर उसको सही दिशा – निर्देश देना, इनकी एक अतिरिक्त खूबी होती है। ऐसे व्यक्ति दार्शनिक विचारधारा वाले कलाकार, साहित्यकार, मनोवैज्ञानिक और सुसंस्कृत होते हैं। ऐसे जातक धन की अपेक्षा मान-सम्मान को अधिक महत्व देते हैं।
3. चमचाकार अथवा कर्मठ हाथ :—
हाथ के तीसरे प्रकार में चमचाकार अथवा कर्मठ हाथ आता है। ऐसे हाथ को चमचाकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी कलाई अथवा उंगलियों के जोड़ों के पास हथेली असाधारण रूप से चौड़ी होती है। ऐसी हथेलियां जब कलाई के पास अधिक चौड़ी होती है, तो उंगलियों की ओर जाते हुए कुछ नुकीली हो जाती हैं। लेकिन यदि हथेलियों की चौड़ाई उंगलियों की जड़ जड़ के पास अधिक हो तो नुकीलापन कलाई की ओर ओर दिखाई पड़ता है। चमचाकार हाथ भी अपने आप में कई एक विविधता समेटे हुए होते हैं। जैसे कि चमचाकार हाथ, यदि कठोर अथवा दृढ़ हो तो, व्यक्ति उत्तेजित प्रकृति का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति काफी सजक रहते हैं। लेकिन यदि चमचाकार हाथ गद्देदार अथवा कोमल हो तो व्यक्ति के स्वभाव में कुछ चिड़चिड़ापन एवं अस्थिरता होती है। ऐसे व्यक्ति किसी काम को देर तक जमकर नहीं कर पाते बल्कि काम को टुकड़ों में निपटाना पसंद करते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति भी क्रियाशील होते हैं तथा स्वतंत्रता के प्रति इनमें भी गहरा लगाव होता है। चमचाकार हाथ वाले जातक आविष्कारक, खोजकर्ता, मैकेनिक, इंजीनियर, समाज – सुधारक अथवा नाविक होते हैं । प्रायः हर क्षेत्र में इस प्रकार के व्यक्ति के मिल जायेंगे। चमचाकार हाथ का आकार काफी बड़ा तथा इनकी उंगलियां भी पूर्ण विकसित होती हैं। स्वाधीनता या स्वतंत्र रहने की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी होती है। अपनी इसी इसी सनक के कारण, ये लोग सत्य की खोज में लगे रहते हैं और अपने बलबूते प्रसिद्धि व ख्याति के नये – नये आयाम स्थापित करते हैं।
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4. दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ :—
हाथ के चौथे प्रकार में दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ आता है इस प्रकार के हाथ लंबे, पतले और अस्थिप्रधान होते हैं। दार्शनिक हाथों की उंगलियां गांठदार होती हैं। उनके जोड़ सुविकसित तथा नाखून लंबे होते हैं। दार्शनिक हाथ वाले व्यक्ति पैसे की बजाय ज्ञान और बुद्धि को अधिक महत्व देते हैं। इसीलिए यह पैसा कमाने के मामले में यह पीछे रह जाते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति बुद्धिजीवी, चिंतक और संतोषी कहे जा सकते हैं। किसी की भी बात पर बिना सोचे समझे, ऐसे व्यक्ति कभी विश्वास नहीं करते। दार्शनिक हाथ बाला व्यक्ति बहुत सोच समझकर ही ही किसी भी बात को स्वीकार करते है। आवश्यकता से अधिक तर्क – वितर्क करना इनकी प्रवृत्ति में शामिल रहता में शामिल रहता है। भले ही इस कारण आगे चलकर इनको हानि ही क्यों न उठानी पढ़े? ऐसे हाथ वाला जातक विद्वान तथा सतत चिंतनशील होता है।



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