विवाह में शुभ मुहूर्त की भूमिका:
विवाह एक पवित्र संस्कार है, जिसे संपन्न कराने के लिए सही मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। ज्योतिष के अनुसार, विवाह मुहूर्त में लग्न, तिथि, योग, नक्षत्र, और ग्रहों की स्थिति का समग्र अध्ययन किया जाता है।
लग्न: आत्मा का प्रतीक
तिथि: शरीर का प्रतीक
योग और नक्षत्र: शरीर के अंगों का प्रतीक
चंद्रमा: मन का प्रतीक
यदि विवाह मुहूर्त में इन किसी भी कारकों में दोष होता है, तो विवाह में बाधाएं, दांपत्य जीवन में समस्याएं, और असफलता की संभावना बनती है।
कर्तरी योग और विवाह में इसके दोष:
कर्तरी योग का निर्माण तब होता है जब विवाह लग्न के महत्वपूर्ण भावों पर पाप ग्रह (शनि, मंगल, राहु, केतु) का प्रभाव हो। यह योग विवाह में अवरोध उत्पन्न करता है।
मुख्य रूप से कर्तरी योग निम्नलिखित स्थितियों में बनता है:
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लग्न के द्वितीय और द्वादश भाव पर पाप ग्रहों की स्थिति:
यह स्थिति विवाह को "पाप कर्तरी" योग बनाती है।
पीड़ित चंद्रमा:
यदि लग्न में चंद्रमा पीड़ित हो तो यह मानसिक अशांति और दांपत्य जीवन में समस्याएं उत्पन्न करता है।
चंद्र, शुक्र, और मंगल का अष्टम भाव में होना:
यह विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता।
सप्तम भाव में पाप ग्रह:
सप्तम भाव जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करता है। यहां पाप ग्रह होने से दांपत्य जीवन में संघर्ष उत्पन्न होता है।
अष्टमेश का लग्न में होना:
यह स्थिति विवाह में अवरोध और दीर्घकालिक समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।
दशम और द्वादश भाव में शनि की स्थिति:
यह विवाह में आर्थिक और मानसिक तनाव को बढ़ा सकता है।
तृतीय भाव में शुक्र की स्थिति:
यह दांपत्य जीवन में अस्थिरता और असहमति का संकेत देता है।
विवाह मुहूर्त में अन्य दोष:
विवाह के लग्न कुंडली में ग्रहों की गलत स्थिति जैसे "अमंगल लग्न"।
विवाह मुहूर्त में लत्तापत्ता दोष।
जन्म कुंडली और विवाह कुंडली के बीच विरोधी ग्रह स्थितियां।
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चंद्रमा का अशुभ नक्षत्र में होना।
सुझाव:
शुद्ध मुहूर्त का चयन: योग्य और अनुभवी ज्योतिषी से विवाह मुहूर्त का निर्धारण कराएं।
दोष निवारण:
पाप ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए उपाय जैसे रत्न धारण, मंत्र जाप, हवन आदि करें।
कर्तरी योग की शांति के लिए विशेष पूजा करवाएं।
ग्रह स्थिति का अध्ययन: विवाह के सभी कारकों की गहन समीक्षा कर सही निर्णय लें।
विवाह संस्कार जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। सही मुहूर्त और ग्रह स्थिति सुनिश्चित कर दांपत्य जीवन को सुखमय और सफल बनाना संभव है।
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