क्या है नाड़ी ज्योतिष? कैसे खोलता है यह आपके जीवन के कई राज

क्या है नाड़ी ज्योतिष? कैसे खोलता है यह आपके जीवन के कई राज

क्या है नाड़ी ज्योतिष? 

नाड़ी’ शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं, किन्तु ज्योतिष शास्त्र में इसका विशेष अर्थ है: ‘आधा मुहूर्त’ अर्थात 24 मिनट का समय। एक मुहूर्त 48 मिनट का माना जाता है। नाड़ी शब्द समय-सूचक होते हुए भी ज्योतिष में एक अनोखी विधा के रूप में प्रचलित है। दक्षिण भारत में इस पद्धति का विशेष प्रचार है, जैसे कि उत्तर भारत में भृगु संहिता, रावण संहिता या अरुण संहिता आदि। नाड़ी ग्रंथों में आपके भूत, वर्तमान और भविष्य का वर्णन मिलता है। इन ग्रंथों को प्राचीन ऋषियों जैसे कि अगस्त्य, शिव, वशिष्ठ, ध्रुव, भृगु-नंदी, शुक्र, सप्तऋषि, भुजंदर और चंद्र-कला के नाम से संबोधित किया जाता है।
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नाड़ी ग्रंथ और उनकी विशेषताएं

नाड़ी ग्रंथों की विशेषता है कि इनमें जातक के जीवन का सम्पूर्ण विवरण एक अनोखे तरीके से लिखा होता है। यह एक ऐसी विधा है जिसमें जातक के अंगूठे के निशान का उपयोग करके भोज-पत्र निकाले जाते हैं। इसमें जातक का नाम, माता-पिता का नाम, माता-पिता की स्थिति, भाई-बहन की संख्या, विवाह, संतान, नौकरी या व्यवसाय आदि के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।

फलादेश और कारण-निर्णय में अंतर

नाड़ी ग्रंथ भृगु संहिता की तरह अधिकतर फलादेश प्रधान होते हैं। इनमें घटनाओं के कारणों का विस्तृत वर्णन नहीं होता कि क्यों और किस ज्योतिषीय आधार पर यह घटनाएं हुईं। इसके बजाय, ये केवल भविष्यवाणी के उद्देश्य से ही अधिक उपयोगी माने जाते हैं।

नाड़ी ज्योतिष में 150 नाड़ियों की संरचना

नाड़ी ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक राशि के 30 अंशों में 150 नाड़ियां होती हैं। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है: एक राशि में 30 अंश, 60 मिनट या 1800 सेकंड होते हैं। इस प्रकार, एक नाड़ी 1800 सेकंड का 150वां भाग है, जो लगभग 12 सेकंड का होता है। एक नाड़ी का फलादेश पूर्व दिशा और उत्तर दिशा के आधार पर होता है। इसलिए, नाड़ी ज्योतिष में जन्म समय 12 सेकंड से अधिक नहीं होना चाहिए।

अंगूठे के निशान से भविष्यवाणी

नाड़ी ज्योतिष का एक अनोखा पहलू यह है कि अंगूठे के निशान से जातक के भविष्य का पूर्ण फलादेश किया जा सकता है और जातक का जन्म समय भी शुद्ध किया जा सकता है।

नाड़ी ग्रंथों में सगे-सम्बन्धियों की भविष्यवाणी

नाड़ी ग्रंथों में केवल जातक के जीवन की नहीं, बल्कि उसके सगे-सम्बन्धियों की भविष्यवाणी के भी योग दिए गए हैं। उदाहरणस्वरूप:

  • तृतीय भाव: यह भाव जातक के ससुराल पक्ष के बारे में जानकारी देता है।
  • पंचम भाव: इससे जातक के भाई-बहन के जीवनसाथी के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
  • अष्टम भाव: यह जातक को ससुराल से मिलने वाली संपत्ति के विषय में बताता है।

जीवनसाथी के जन्म लग्न और राशि के योग

नाड़ी ग्रंथों में जातक के जीवनसाथी की जन्मराशि या जन्म लग्न के बारे में भी सूत्र दिए गए हैं। उदाहरण के लिए:

  • सप्तम भाव की राशि, सप्तमेश की राशि या सप्तमेश का नवांश जीवनसाथी की राशि हो सकती है।
  • पंचम भाव की राशि, पंचमेश की राशि या पंचमेश का सप्तांश जातक के बच्चों की जन्मराशि का प्रतिनिधित्व कर सकती है।

नाड़ी ज्योतिष का इतिहास और इसकी विधि अद्वितीय है। दक्षिण भारत में प्रचलित यह पद्धति आज भी रहस्य और ज्ञान का एक बड़ा स्रोत है।