सप्तम भाव को ज्योतिष में विवाह, साझेदारी, जीवनसाथी, और व्यवसायिक संबंधों का भाव माना जाता है। जब सूर्य और बुध सप्तम भाव में एक साथ होते हैं, तो बुधादित्य योग बनता है, जो जातक के जीवन में इन क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डालता है। यह योग जहां जातक को बुद्धिमान और आत्मविश्वासी बनाता है, वहीं संबंधों और साझेदारी के मामलों में कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न कर सकता है। आइए इस योग को विस्तार से समझते हैं:
शत्रुओं से मिथ्या विरोध और आत्मविश्वास:
शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाएँ:
सप्तम भाव शत्रुओं और विरोधियों के साथ साझेदारी और संबंधों को दर्शाता है। बुधादित्य योग के कारण जातक को अपने विरोधियों और शत्रुओं से मिथ्या आरोपों या विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ये शत्रु जातक के खिलाफ नकारात्मक प्रचार या चालें चलाने की कोशिश करते हैं।
बावजूद इसके, जातक का आत्मविश्वास कभी कम नहीं होता। बुध की बुद्धिमत्ता और सूर्य की आत्म-सम्मान और आत्म-शक्ति जातक को शत्रुओं के खिलाफ मजबूती से खड़ा रखती है। वह शत्रुओं की चालों का सफलतापूर्वक मुकाबला करता है और अपने आत्मविश्वास को बनाए रखता है।
मामा पक्ष से लाभ और सहयोग की कमी:
बचपन में मामा पक्ष से लाभ:
बुधादित्य योग के जातक को बचपन में मामा पक्ष से विशेष लाभ मिलता है। मामा या मामा पक्ष के लोग जातक की प्रारंभिक जीवन में सहायता करते हैं, चाहे वह आर्थिक हो या भावनात्मक।
यह लाभ जातक के जीवन के शुरुआती समय में स्थिरता और विकास में मदद करता है, और वह अपने प्रारंभिक विकास में आसानी से आगे बढ़ता है।
आवश्यकता पड़ने पर सहयोग की कमी:
हालाँकि बचपन में मामा पक्ष से लाभ मिलता है, लेकिन जैसे-जैसे जातक की उम्र बढ़ती है, मामा पक्ष से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है। जब जातक को जीवन में कठिनाइयों या चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, तब मामा पक्ष से सहयोग की कमी होती है, जिससे जातक को अपने दम पर संघर्ष करना पड़ता है।
यौन रोगों और कामी स्वभाव:
यौन रोगों की संभावना:
सप्तम भाव जीवनसाथी, यौन संबंधों और यौन स्वास्थ्य से संबंधित होता है। बुधादित्य योग के प्रभाव से जातक को यौन रोगों का सामना करना पड़ सकता है। यह योग कभी-कभी जातक को यौन स्वास्थ्य में समस्याएँ देता है, और उसे अपने यौन स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
बुध और सूर्य का संयोग जातक के यौन जीवन में असंतोष या समस्याओं का कारण बन सकता है, जिससे वह यौन स्वास्थ्य में परेशानियों का सामना करता है।
अत्यंत कामी स्वभाव:
बुधादित्य योग के कारण जातक का स्वभाव अत्यधिक कामी हो सकता है, लेकिन यह कामी स्वभाव परिस्थिति और समय के अनुसार बदलता रहता है। जातक का आकर्षण अपने जीवनसाथी के प्रति कम और दूसरों के प्रति ज्यादा हो सकता है। वह दूसरों के प्रति आकर्षित हो सकता है, लेकिन यह आकर्षण हमेशा अंतरंग संबंधों तक नहीं पहुँचता।
बुध की चतुराई और सूर्य की आत्म-शक्ति के कारण जातक अन्य लोगों के साथ निकटता चाहता है, लेकिन यह निकटता हमेशा संबंधों में परिणत नहीं होती। इसका असर उसके वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है, जिससे जीवनसाथी के साथ दूरियाँ बनती हैं।
विवाह और साझेदारी में समस्याएँ:
जीवनसाथी की उपेक्षा:
बुधादित्य योग के जातक अपने जीवनसाथी के प्रति अनदेखी कर सकते हैं। उनका ध्यान और आकर्षण अपने जीवनसाथी से हटकर दूसरों की ओर होता है। हालांकि, यह आकर्षण अस्थायी होता है और गहरे संबंधों में नहीं बदलता।
यह योग विवाह और साझेदारी में असंतोष और समस्याएँ पैदा कर सकता है। जातक और उसके जीवनसाथी के बीच विश्वास और निकटता की कमी हो सकती है, जिससे वैवाहिक जीवन में तनाव पैदा होता है।
शुभ ग्रहों का प्रभाव:
यदि सप्तम भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या शुभ ग्रह बुधादित्य योग के समीप हों, तो इस योग के नकारात्मक प्रभावों में कमी आ सकती है। शुभ ग्रहों के प्रभाव से जातक के विवाह और साझेदारी में स्थिरता और सुधार आ सकता है। जातक अपने जीवनसाथी के प्रति निष्ठावान और समर्पित हो सकता है।
व्यवसायिक जीवन और कैरियर:
कैरियर में सफलता:
बुधादित्य योग सप्तम भाव में जातक को व्यवसायिक जीवन में सफलता दिला सकता है। सप्तम भाव साझेदारी और व्यवसाय से संबंधित होता है, और बुधादित्य योग जातक को व्यापारिक चतुराई और आत्म-विश्वास प्रदान करता है।
जातक चिकित्सा, अभिनय, रत्न व्यवसाय, समाजसेवा, या स्वयंसेवी संगठनों से संबंधित कामों में सफलता प्राप्त कर सकता है। बुध की तर्कशक्ति और सूर्य की नेतृत्व क्षमता उसे इन क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करती है।
विशेष पेशेवर गुण:
सप्तम भाव का बुधादित्य योग जातक को अच्छा चिकित्सक, अभिनेता, निजी सहायक, या रत्न व्यवसायी बना सकता है। बुध की व्यापारिक कुशाग्रता और सूर्य की आत्म-शक्ति जातक को इन पेशों में सफल होने के लिए आवश्यक गुण प्रदान करती है। जातक अपने पेशे में सफल रहता है और अपनी तर्कशक्ति और आत्म-विश्वास से ऊँचाइयों तक पहुँचता है।
राशियों का प्रभाव:
सिंह और मेष राशि में एकनिष्ठता:
यदि सप्तम भाव में सिंह या मेष राशि हो, तो जातक अपने जीवनसाथी के प्रति एकनिष्ठ रहता है। सिंह और मेष राशि जातक को आत्म-सम्मान और निष्ठा का गुण प्रदान करती है, जिससे वह अपने वैवाहिक जीवन में स्थिरता और संतुलन बनाए रखता है।
सिंह और मेष राशि जातक को साहसी और आत्म-निर्भर बनाती है, जिससे वह अपने संबंधों में विश्वास और सम्मान बनाए रखता है।



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