परिचय
नवमुखी रुद्राक्ष, जिसे नवदुर्गा का प्रतिनिधि माना जाता है, नवशक्ति और भैरव का स्वरूप है। इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। यह रुद्राक्ष केतु के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने में सहायक होता है। इसके अलावा, इसे नवदुर्गा, नवनाथ, और नवग्रह का भी प्रतीक माना जाता है।
विशेषताएँ और लाभ
नई शक्तियाँ: नवमुखी रुद्राक्ष धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करता है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
सुख-शांति: यह व्यक्ति को मानसिक शांति और सुख प्रदान करता है।
व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि के लिए यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
अकाल मृत्यु से रक्षा: इसके धारण करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
दुर्घटनाओं से सुरक्षा: यह आकस्मिक दुर्घटनाओं से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
रोगों से मुक्ति: कर्क रोग को दूर करने में सहायक होता है और आध्यात्मिकता में उन्नति करता है।
बुद्धि में विकास: यह रुद्राक्ष बुद्धि के विकास में भी मदद करता है।
पूजा विधि
मंत्र जप:
नवमुखी रुद्राक्ष को धारण करते समय "ॐ नव वकत्रस्य ॐ ह्रीं हुं नमः" इस मंत्र की 21 माला जप करनी चाहिए।
अभिषेक:
इसे धारण करने से पहले कच्चे दूध और चन्दन केसर के जल से अभिषेक करना चाहिए।
धारण का समय:
मंत्र जाप के पश्चात इसे बाईं भुजा में धारण करना चाहिए।
किसे धारण करना चाहिए?
विशेष रुचियाँ:
यह रुद्राक्ष विशेष रूप से डॉक्टर, वैध, सर्जन, पुलिस कर्मचारी, और सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभकारी है।
आध्यात्मिकता से जुड़ी लोगों के लिए यह रुद्राक्ष अधिक लाभकारी है।
परिणाम और प्रभाव
धारक की सुरक्षा: धारक को आकस्मिक मृत्यु और दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिकता में उन्नति होती है, जिससे साधक को ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।
मानसिक शांति: व्यक्ति मानसिक शांति का अनुभव करता है, जिससे जीवन में संतुलन बना रहता है।
स्वास्थ्य में सुधार: कर्क रोग जैसे गंभीर रोगों से मुक्ति की संभावना बढ़ती है।
ध्यान देने योग्य बातें
प्रामाणिकता: हमेशा प्रामाणिक रुद्राक्ष खरीदें। नकली रुद्राक्ष के लाभ नहीं मिलते।
संवेदनशीलता: यदि कोई असुविधा महसूस होती है, तो इसे हटा दें।
चिकित्सा परामर्श: स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में हमेशा चिकित्सक से परामर्श करें।
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