कुंडली के दसम भाव में उच्च का शुक्र शुभ और अशुभ दोनों ही प्रभाव दे सकता है। दसम भाव का संबंध जातक के व्यवसायिक क्षेत्र, प्रतिष्ठा, और सामाजिक स्थिति से होता है, और शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, सुख, समृद्धि और विवाह का कारक होता है। जब शुक्र कुंडली के दसम भाव में उच्च का हो, तो इसका प्रभाव जातक के व्यवसाय और वैवाहिक जीवन पर खास होता है। आइए जानते हैं, दसम भाव में स्थित उच्च के शुक्र के शुभ और अशुभ प्रभावों के बारे में विस्तार से:
शुभ फल
यदि कुंडली के दसम भाव में शुक्र उच्च का और शुभ हो, तो जातक को व्यवसाय में अपार सफलता प्राप्त होती है। यह स्थिति जातक के व्यवसायिक क्षेत्र में विकास, उन्नति, और आर्थिक समृद्धि लाती है। इस स्थिति में जातक अपने व्यवसाय में इतना सफल हो सकता है कि उसे समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। इसके साथ ही, उच्च का शुक्र जातक को उच्च शिक्षा और विदेश यात्रा का योग भी देता है। कुछ जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश जा सकते हैं, और वहाँ व्यवसाय में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। कुछ जातक तो विदेशों में स्थायी रूप से स्थापित होकर बहुत धन कमा सकते हैं।

इसके अलावा, शुभ उच्च का शुक्र जातक को योग्य और स्वस्थ संतान का आशीर्वाद भी देता है। यह विशेष रूप से स्त्रियों के लिए अनुकूल होता है, क्योंकि उनकी प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है। इस स्थिति में जातक का पारिवारिक जीवन भी सामान्यतः सुखद और समृद्ध होता है, और संतानें भी सफल होती हैं।
अशुभ फल
दूसरी ओर, यदि कुंडली के दसम भाव में स्थित शुक्र अशुभ हो, तो जातक को अपने व्यवसायिक जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में जातक को व्यवसाय में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। व्यवसाय में अस्थिरता हो सकती है और कई बार व्यापारिक या आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
अशुभ उच्च का शुक्र जातक के वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है। वैवाहिक जीवन में तनाव, विवाद, और असंतोष की स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ जातकों का विवाह विपरीत स्वभाव वाले साथी से हो सकता है, जिसके चलते वैवाहिक जीवन में सामंजस्य की कमी रह सकती है। इसके साथ ही, कुछ जातकों का विवाह टूटने की संभावना भी बनती है।



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