जन्मकुंडली अनुसार नवरात्रि साधना और अनिष्ट ग्रहों का उपचार

जन्मकुंडली अनुसार नवरात्रि साधना और अनिष्ट ग्रहों का उपचार

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का अत्यधिक महत्व रखता है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के हर रूप की विशेष पूजा की जाती है। यह समय केवल आध्यात्मिक साधना का ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी एक अद्भुत अवसर होता है। जन्मकुंडली में अगर किसी जातक के ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो वे देवी दुर्गा की आराधना करके इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम कर सकते हैं। प्रत्येक ग्रह के लिए एक विशेष देवी की पूजा और मंत्र निर्धारित होते हैं, जो ग्रहों के दोषों को शांति प्रदान करने में सहायक होते हैं।

नवरात्रि और देवी दुर्गा की महिमा

नवरात्रि में माता के तीन रूपों की विशेष उपासना की जाती है:

1. महालक्ष्मी (पहले तीन दिन) – धन, समृद्धि और सुख की देवी।

2. महा सरस्वती (अगले तीन दिन) – ज्ञान, विद्या, और बुद्धि की देवी।

3. महा काली (आखिरी तीन दिन) – शक्ति और उग्रता का प्रतीक।

यहां, हम आपको जन्मकुंडली के अनिष्ट ग्रहों को शांत करने के उपाय और नवरात्रि साधना के दौरान की जाने वाली पूजा विधियों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

ग्रहों के अनिष्ट प्रभाव और देवी की उपासना

1. सूर्य ग्रह की अनिष्ट स्थिति का उपाय:

अगर आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में है, तो इससे स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिष्ठा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। सूर्य के दोषों को शांत करने के लिए नवरात्रि के दौरान मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए।

पूजा मंत्र:  

ह्रीं शिवायै नमः।  

मां शैलपुत्री की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जातक के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही, सूर्य से संबंधित दोषों में कमी आती है।

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2. चंद्रमा ग्रह की अशुभता का उपचार:

यदि चंद्रमा कुंडली में नीचस्थ या अशुभ फल दे रहा है, तो यह मानसिक अशांति, तनाव, और भावनात्मक अस्थिरता का कारण बन सकता है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

ऐं ह्रीं देव्यै नमः।  

मां कूष्मांडा की पूजा करने से चंद्रमा के दोषों का निवारण होता है और जातक को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

3. मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाव:

मंगल की अनिष्ट स्थिति से क्रोध, दुर्घटनाएं, और वैवाहिक जीवन में अशांति हो सकती है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना करें।

पूजा मंत्र:  

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः।  

मां स्कंदमाता की आराधना से मंगल के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और जातक के जीवन में शांति और स्थिरता आती है।

4. बुध ग्रह की अशुभता का उपाय:

बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से व्यापार, संचार, और आर्थिक मामलों में हानि हो सकती है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः।  

मां कात्यायनी की पूजा से बुध ग्रह के दोष दूर होते हैं और जातक को व्यापार और आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है।

5. गुरु ग्रह के दुष्प्रभाव से छुटकारा:

अगर गुरु ग्रह कुंडली में अशुभ स्थिति में है, तो यह शिक्षा, धार्मिकता और सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि का कारण बन सकता है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए।

पूजा मंत्र:  

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।  

मां महागौरी की उपासना से गुरु ग्रह के दोषों का निवारण होता है और जातक को ज्ञान, धर्म, और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

6. शुक्र ग्रह की अनिष्ट स्थिति का उपचार:

शुक्र की अशुभ स्थिति से वैवाहिक जीवन, भौतिक सुख, और धन में कमी हो सकती है। इसके निवारण के लिए नवरात्रि के दौरान मां लक्ष्मी की उपासना करें, जो शुक्र से संबंधित सभी दोषों को शांत करती हैं।

पूजा मंत्र:  

ॐ महालक्ष्म्यै नमः।  

मां लक्ष्मी की कृपा से शुक्र के दोष शांत होते हैं और जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएं और वैवाहिक जीवन की समस्याओं का निवारण होता है।

7. शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति:

शनि ग्रह की अशुभ स्थिति से नौकरी, व्यवसाय, और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शनि के दोषों को दूर करने के लिए नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।  

मां कालरात्रि की आराधना से शनि के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को जीवन में उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।

8. राहु ग्रह की अनिष्ट स्थिति का उपाय:

राहु के अशुभ प्रभाव से मानसिक अस्थिरता, अचानक दुर्घटनाएं, और धोखा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए।

पूजा मंत्र:  

ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः।  

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से राहु के दोष शांत होते हैं और जातक के जीवन में मानसिक शांति और सुरक्षा मिलती है।

9. केतु ग्रह के विपरीत प्रभाव से बचाव:

केतु के नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य, और अज्ञात भय का सामना करना पड़ सकता है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

ऐं श्रीं शक्त्यै नमः।  

मां चंद्रघंटा की पूजा से केतु के दोष समाप्त होते हैं और व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

नवरात्रि साधना के लाभ

स्वास्थ्य लाभ: ग्रहों के अशुभ प्रभाव से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण होता है।

धन और समृद्धि: जीवन में आर्थिक समृद्धि और व्यापार में उन्नति होती है।

रिश्तों में सुधार: वैवाहिक जीवन और व्यक्तिगत संबंधों में मधुरता आती है।

सकारात्मक ऊर्जा: साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे उसका मानसिक संतुलन बना रहता है।

संकटों से मुक्ति: ग्रहों के दोषों से उत्पन्न संकट और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।

नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी की कृपा से हर प्रकार की बाधाओं का निवारण संभव होता है।