डॉ. धवलकुमार विष्णुभाई व्यास का जन्म गुजरात के विसनगर में हुआ था और वे अपने गांव सुंढ़िया में पले-बढ़े। वे पिछले दो दशकों से अहमदाबाद स्थित यूके आधारित प्रमुख केपीओ उद्योगों में लेखांकन के क्षेत्र में कार्यरत हैं। बचपन से ही उनकी भगवान शिव की आराधना में गहरी आस्था थी। वर्ष 2003 के आसपास एक दिन उन्होंने सुंदरकांड का पाठ किया और उसके बाद से शनिवार को सुंदरकांड का नियमित पाठ करने लगे। इस आध्यात्मिक अनुभव ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने सभी अन्य प्रार्थनाएं छोड़ दीं।
अडिग संकल्प: 40 दिन की सुंदरकांड साधना की कठिन यात्रा
डॉ. धवलकुमार व्यास ने यह संकल्प लिया कि वे किसी स्थान पर बिना रुके 40 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ करेंगे। उन्होंने इसके लिए छह साल तक प्रयास किया, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। फिर, जुलाई 2016 में उन्होंने इस संकल्प को पुनः शुरू किया और निरंतर 2100 दिनों तक एक ही स्थान पर सुंदरकांड साधना पूरी की। आज तक, उनका यह पावन कार्य जारी है और उन्होंने 3000 दिनों का आंकड़ा पार कर लिया है। वे आज भी रोजाना सुंदरकांड का पाठ करते हैं और लाइव संगीतात्मक सुंदरकांड तथा हनुमानजी पर सत्संग का आयोजन करते हैं।
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विदेशों में भी फैलाया आध्यात्मिक संदेश
डॉ. व्यास ने विदेश में भी अपनी साधना का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने वर्चुअल सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया और एक कनाडाई यात्री ने उनके साथ एक पॉडकास्ट रिकॉर्ड किया। उनकी इस अनोखी साधना के लिए उन्हें नई दिल्ली में 'लाइफ टाइम अचीवमेंट एंड स्टार एक्सीलेंस' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
शिक्षा और शोध: सुंदरकांड पर पीएच.डी. और पुस्तक प्रकाशित
डॉ. धवलकुमार व्यास ने पिछले वर्षों में पीएच.डी. की पढ़ाई शुरू की और सुंदरकांड पर अपनी थीसिस लिखी। 2024 में उन्हें मानद उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने सुंदरकांड पर एक अनूठी पुस्तक भी लिखी है, जिसे बाजार में प्रकाशित किया गया है। उनकी इस पुस्तक ने सुंदरकांड के प्रति उनकी गहरी समझ और श्रद्धा को और भी प्रगाढ़ किया है।
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सम्मान और पुरस्कार: YMCA क्लब में सम्मानित
हाल ही में मई 2024 में, डॉ. धवलकुमार व्यास को अहमदाबाद के YMCA क्लब में भारतीय प्राच्य विद्या संस्थान द्वारा प्रसिद्ध हस्तियों के सम्मुख सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके समर्पण और साधना के प्रति उनके अथक प्रयासों की सराहना के रूप में दिया गया। उनका यह सम्मान उनके जीवन की प्रेरणादायक यात्रा की एक और मील का पत्थर है।
आध्यात्मिक प्रेरणा: एक मिसाल है डॉ. धवलकुमार की यात्रा
डॉ. धवलकुमार विष्णुभाई व्यास की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर हम अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हों, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। उनकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि सच्चा समर्पण और दृढ़ संकल्प हमें किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। उनकी जीवन यात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो यह दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण के माध्यम से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।



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