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Astro News

नवरात्रि 2024: 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग – पेज ऑफ वैंड्स कार्ड | Allso
नवरात्रि 2024: 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग – पेज ऑफ वैंड्स कार्ड

पुरवी रावल एक प्रसिद्ध टैरो कार्ड रीडर हैं, जिनके पास 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। अपने सटीक और गहन रीडिंग्स के लिए जानी जाती हैं, पुरवी रावल कई सेलिब्रिटी और व्यक्तियों के लिए एक विश्वसनीय मार्गदर्शक हैं, जो आध्यात्मिक दिशा की तलाश में हैं। एक अंतरराष्ट्रीय टैरो रीडर और भारत की ब्रांड एंबेसडर के रूप में, वह अपने अनुभव के साथ एक करुणामयी दृष्टिकोण को जोड़ती हैं।

पेज ऑफ वैंड्स टैरो कार्ड नई ऊर्जा, प्रेरणा और नए विचारों का प्रतीक है। यह कार्ड जीवन में नई शुरुआत और साहसिक कदमों की ओर इशारा करता है। इस नवरात्रि के दौरान, पेज ऑफ वैंड्स आपको अपने जीवन में नए अवसरों को अपनाने और रचनात्मक दृष्टिकोण से अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आइए जानते हैं कि पेज ऑफ वैंड्स का प्रत्येक राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा:

1. मेष (Aries)  

मेष राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स एक नई शुरुआत और जोश का संकेत देता है। आपको अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए आत्मविश्वास से भरे रहना चाहिए। नई परियोजनाएं और विचार आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं।

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2. वृषभ (Taurus)  

वृषभ राशि के लिए यह कार्ड संकेत करता है कि आपको अपने जीवन में कुछ नया जोड़ने का समय आ गया है। पेज ऑफ वैंड्स आपको बताता है कि रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाएं और अपने विचारों को नई दिशा में ले जाएं।

3. मिथुन (Gemini)  

मिथुन राशि के लिए यह समय नई सोच और ऊर्जा का है। पेज ऑफ वैंड्स आपको नए अवसरों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। आपके नए विचार और योजनाएं सफलता की ओर ले जा सकती हैं।

4. कर्क (Cancer)  

कर्क राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स एक नई दिशा में बढ़ने का संकेत है। यह समय रचनात्मक दृष्टिकोण और नए विचारों को अपनाने का है। अपने विचारों को स्पष्ट करें और नई शुरुआत के लिए तैयार रहें।

5. सिंह (Leo)  

सिंह राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स साहसिक कदम उठाने का समय बताता है। आपको आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्यों की दिशा में बढ़ना चाहिए। नए अवसर और परियोजनाएं आपके लिए लाभदायक हो सकती हैं।

6. कन्या (Virgo)  

कन्या राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स यह संकेत करता है कि आपको अपने पुराने तरीकों को छोड़कर नए दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। नई योजनाओं को लागू करने और रचनात्मकता का प्रयोग करने से आपको सफलता मिलेगी।

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7. तुला (Libra)  

तुला राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स नई ऊर्जा और प्रेरणा का समय है। अपने लक्ष्यों की दिशा में नए विचारों और योजनाओं को लागू करें। यह समय आपके लिए नए अवसर लेकर आ सकता है।

8. वृश्चिक (Scorpio)  

वृश्चिक राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स यह संदेश देता है कि आपको अपनी रचनात्मकता और ऊर्जा का सही दिशा में प्रयोग करना चाहिए। नए विचारों और योजनाओं पर काम करें, सफलता आपके करीब है।

9. धनु (Sagittarius)  

धनु राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स नई योजनाओं और अवसरों का समय बताता है। आपको अपने जीवन में नई दिशा में कदम बढ़ाने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह समय रचनात्मकता और साहसिक निर्णयों का है।

10. मकर (Capricorn)  

मकर राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स यह संकेत देता है कि आपको अपने जीवन में नए अवसरों का स्वागत करना चाहिए। यह समय है कि आप अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाएं और नए विचारों को लागू करें।

11. कुंभ (Aquarius)  

कुंभ राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स रचनात्मकता और नई शुरुआत का समय दर्शाता है। आपको अपने विचारों और योजनाओं में नए दृष्टिकोण जोड़ने की आवश्यकता है। नए अवसर आपके सामने आ सकते हैं।

12. मीन (Pisces)  

मीन राशि के लिए पेज ऑफ वैंड्स एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संकेत है। आपको अपने जीवन में रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और नई योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह समय आपके लिए अवसरों से भरा है।

नवरात्रि 2024 के दौरान, पेज ऑफ वैंड्स टैरो कार्ड सभी 12 राशियों के लिए नई ऊर्जा, प्रेरणा और साहसिक कदमों का प्रतीक है। यह समय रचनात्मकता और नए दृष्टिकोण अपनाने का है। अपने जीवन में नई शुरुआत करें और नवरात्रि के इस पावन समय में सफलता की ओर बढ़ें।

व्यक्तिगत टैरो रीडिंग और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए, पुरवी रावल से संपर्क करें, जो 10 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ टैरो के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम हैं।

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नवरात्रि 2024: 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग – द हैंग्डमैन कार्ड | Allso
नवरात्रि 2024: 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग – द हैंग्डमैन कार्ड

पुरवी रावल एक प्रसिद्ध टैरो कार्ड रीडर हैं, जिनके पास 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। अपने सटीक और गहन रीडिंग्स के लिए जानी जाती हैं, पुरवी रावल कई सेलिब्रिटी और व्यक्तियों के लिए एक विश्वसनीय मार्गदर्शक हैं, जो आध्यात्मिक दिशा की तलाश में हैं। एक अंतरराष्ट्रीय टैरो रीडर और भारत की ब्रांड एंबेसडर के रूप में, वह अपने अनुभव के साथ एक करुणामयी दृष्टिकोण को जोड़ती हैं।

द हैंग्डमैन टैरो कार्ड बलिदान, धैर्य, और नई दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाता है। इस कार्ड का संदेश है कि जीवन के कुछ पहलुओं में रुकावटें आ सकती हैं, लेकिन ये रुकावटें आपको आत्म-विश्लेषण और गहरी समझ हासिल करने का अवसर देती हैं। इस नवरात्रि के दौरान, आपको धैर्य और समझदारी से काम लेने की आवश्यकता होगी। आइए जानते हैं कि द हैंग्डमैन का प्रत्येक राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा:

1. मेष (Aries)  

मेष राशि के जातकों के लिए द हैंग्डमैन का संदेश है कि आपको कुछ समय के लिए अपने प्रयासों को धीमा करने की आवश्यकता हो सकती है। यह एक रुकावट नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण का समय है। धैर्य रखें और नई दिशा खोजें।

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2. वृषभ (Taurus)  

वृषभ राशि के लिए यह कार्ड बताता है कि आपको वर्तमान स्थितियों से समझौता करना पड़ सकता है। कुछ समय के लिए चीजों को स्थिर रखने में ही भलाई है। इस नवरात्रि, पुरानी आदतों को छोड़ने और नए दृष्टिकोण अपनाने का समय है।

3. मिथुन (Gemini)  

मिथुन राशि के लिए द हैंग्डमैन यह इंगित करता है कि चीजें आपकी उम्मीदों के अनुसार नहीं होंगी, लेकिन आपको धैर्य रखने की आवश्यकता है। बदलाव को स्वीकार करें और अपनी सोच का विस्तार करें।

4. कर्क (Cancer)  

कर्क राशि के जातकों के लिए यह समय धैर्य और संतुलन का है। द हैंग्डमैन बताता है कि आपको अपनी स्थिति से हटकर चीजों को देखने की कोशिश करनी चाहिए। आत्मनिरीक्षण आपको नए समाधान खोजने में मदद करेगा।

5. सिंह (Leo)  

सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय अपने अहंकार को पीछे छोड़ने और धैर्य से काम लेने का है। द हैंग्डमैन यह संकेत देता है कि आपको अपनी योजनाओं को थोड़ी देर के लिए रोकना पड़ सकता है, लेकिन यह आत्मविकास का समय है।

6. कन्या (Virgo)  

द हैंग्डमैन कन्या राशि के लिए यह संकेत करता है कि आप अपनी परिस्थितियों में बदलाव के लिए तैयार रहें। रुकावटें आपको निराश न करें, बल्कि यह आत्ममंथन का समय है। इस नवरात्रि, आपको धैर्य और बलिदान की भावना से काम लेना होगा।

7. तुला (Libra)  

तुला राशि के लिए द हैंग्डमैन यह संदेश देता है कि आपको किसी बड़ी योजना को अस्थायी रूप से स्थगित करना पड़ सकता है। धैर्य से काम लें और नए दृष्टिकोण अपनाएं। यह समय आत्मनिरीक्षण और बदलाव का है।

8. वृश्चिक (Scorpio)  

वृश्चिक राशि के लिए यह समय धैर्य और आत्म-समर्पण का है। द हैंग्डमैन बताता है कि आपको वर्तमान स्थिति से हटकर नई दिशा में देखना चाहिए। आत्मनिरीक्षण से आपको नई प्रेरणा और समाधान मिलेंगे।

9. धनु (Sagittarius)  

धनु राशि के जातकों के लिए द हैंग्डमैन यह इंगित करता है कि आपको अपनी योजनाओं को थोड़े समय के लिए स्थगित करना पड़ सकता है। धैर्य रखें और वर्तमान में जो हो रहा है, उसे समझने का प्रयास करें।

10. मकर (Capricorn)  

मकर राशि के लिए यह समय मानसिक बदलाव का है। द हैंग्डमैन बताता है कि आपको अपने पुराने दृष्टिकोण को छोड़कर कुछ नया अपनाने की जरूरत है। इस नवरात्रि, आत्मनिरीक्षण का समय है।

11. कुंभ (Aquarius)  

कुंभ राशि के लिए द हैंग्डमैन का संदेश है कि आपको किसी योजना में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह समय धैर्य से अपने अंतर्ज्ञान को सुनने और नए रास्तों को खोजने का है।

12. मीन (Pisces)  

मीन राशि के जातकों के लिए द हैंग्डमैन यह संकेत देता है कि आत्मसमर्पण और धैर्य से काम लें। आपको वर्तमान परिस्थिति को छोड़ने और नई दिशा में देखने की आवश्यकता हो सकती है।

नवरात्रि 2024 के दौरान, द हैंग्डमैन टैरो कार्ड सभी 12 राशियों को आत्मनिरीक्षण, धैर्य, और नई दृष्टिकोण अपनाने का संदेश देता है। यह समय धीमी गति से चलने, आत्म-समर्पण करने और एक नई दिशा खोजने का है। इस पावन समय का उपयोग अपने आध्यात्मिक विकास के लिए करें, और जीवन में स्थिरता और संतुलन प्राप्त करें।

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नवरात्रि 2024: 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग – 5 ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड | Allso
नवरात्रि 2024: 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग – 5 ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड

पुरवी रावल एक प्रसिद्ध टैरो कार्ड रीडर हैं, जिनके पास 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। अपने सटीक और गहन रीडिंग्स के लिए जानी जाती हैं, पुरवी रावल कई सेलिब्रिटी और व्यक्तियों के लिए एक विश्वसनीय मार्गदर्शक हैं, जो आध्यात्मिक दिशा की तलाश में हैं। एक अंतरराष्ट्रीय टैरो रीडर और भारत की ब्रांड एंबेसडर के रूप में, वह अपने अनुभव के साथ एक करुणामयी दृष्टिकोण को जोड़ती हैं।

5 ऑफ स्वॉर्ड्स टैरो कार्ड संघर्ष, टकराव और प्रतिस्पर्धा का संकेत देता है। यह कार्ड इंगित करता है कि आपको इस समय अपने निर्णयों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि किसी विवाद या असहमति के चलते आपके संबंधों या व्यक्तिगत स्थिति में खटास आ सकती है। इस नवरात्रि, आपको संयम और शांति बनाए रखने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं कि 5 ऑफ स्वॉर्ड्स का प्रत्येक राशि पर क्या प्रभाव होगा:

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 1. मेष (Aries)  

मेष राशि के जातकों के लिए 5 ऑफ स्वॉर्ड्स यह संकेत देता है कि किसी विवाद या तर्क से बचना महत्वपूर्ण है। इस नवरात्रि, आत्मनियंत्रण से काम लें और दूसरों के साथ अनावश्यक बहस से बचें।

 2. वृषभ (Taurus)  

वृषभ राशि के लिए यह समय अपने आसपास के टकराव से दूर रहने का है। 5 ऑफ स्वॉर्ड्स इंगित करता है कि किसी विवाद से आपकी ऊर्जा नष्ट हो सकती है, इसलिए इसे सकारात्मक रूप से हल करें।

 3. मिथुन (Gemini)  

मिथुन राशि के जातकों को इस समय अपने संबंधों में संयम से काम लेने की जरूरत है। 5 ऑफ स्वॉर्ड्स यह संकेत देता है कि किसी बहस में पड़ने से बचें और अपने विचारों को शांति से व्यक्त करें।

 4. कर्क (Cancer)  

कर्क राशि के लिए यह समय दूसरों के साथ विवादों को सुलझाने का है। 5 ऑफ स्वॉर्ड्स इंगित करता है कि अगर कोई टकराव होता है, तो उसे सुलझाने की कोशिश करें, बजाय इसके कि आप उसमें उलझें।

 5. सिंह (Leo)  

सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय किसी भी तरह के टकराव से खुद को दूर रखने का है। 5 ऑफ स्वॉर्ड्स इंगित करता है कि किसी भी बहस में शामिल होने से पहले सोच-समझ कर निर्णय लें।

 6. कन्या (Virgo)  

5 ऑफ स्वॉर्ड्स कन्या राशि के जातकों को सावधान करता है कि वे किसी विवाद में अपनी ऊर्जा बर्बाद न करें। आपको इस समय अपनी शांति बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए और विवादों से दूर रहना चाहिए।

 7. तुला (Libra)  

तुला राशि के लिए यह समय संतुलन बनाए रखने का है। 5 ऑफ स्वॉर्ड्स इंगित करता है कि आपको इस नवरात्रि टकराव से बचने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने की आवश्यकता है।

 8. वृश्चिक (Scorpio)  

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह समय आत्म-विश्लेषण का है। 5 ऑफ स्वॉर्ड्स इंगित करता है कि आपको टकराव से बचकर अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की जरूरत है।

 9. धनु (Sagittarius)  

धनु राशि के जातकों के लिए 5 ऑफ स्वॉर्ड्स इस बात का संकेत है कि किसी विवाद में उलझने से बचें। नवरात्रि के इस समय में आत्मसंयम रखें और शांतिपूर्ण तरीके से अपने मुद्दों को सुलझाएं।

 10. मकर (Capricorn)  

मकर राशि के जातकों को 5 ऑफ स्वॉर्ड्स यह संकेत देता है कि किसी भी प्रकार की बहस या टकराव में पड़ने से पहले सोचें। यह समय शांति और संयम से काम लेने का है।

 11. कुंभ (Aquarius)  

कुंभ राशि के लिए 5 ऑफ स्वॉर्ड्स का अर्थ है कि इस समय आपको दूसरों के साथ मतभेदों से बचना चाहिए। अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें, लेकिन शांतिपूर्ण ढंग से।

 12. मीन (Pisces)  

मीन राशि के लिए 5 ऑफ स्वॉर्ड्स यह संकेत देता है कि किसी भी टकराव में न उलझें। नवरात्रि के इस समय में अपने मन को शांत रखें और दूसरों के साथ समरसता से व्यवहार करें।

नवरात्रि 2024 के दौरान, 5 ऑफ स्वॉर्ड्स टैरो कार्ड सभी 12 राशियों के लिए चेतावनी और सावधानी का संकेत देता है। यह आपको याद दिलाता है कि अपने विचारों और क्रियाओं में संयम और शांति बनाए रखें, ताकि किसी भी प्रकार के टकराव या विवाद से बचा जा सके। इस पावन समय का उपयोग करके आत्मनियंत्रण और शांति को बनाए रखें, ताकि आप अपने व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास के पथ पर आगे बढ़ सकें।

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दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजन: महत्व,ज्योतिषीय लाभ | Allso
दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजन: महत्व,ज्योतिषीय लाभ

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दशहरे के दिन रावण का वध करके भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना की और यही दिन देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे कई धर्मिक, सांस्कृतिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।

शस्त्र पूजन का महत्व

शस्त्र पूजन की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है, जब योद्धा और राजाओं के लिए शस्त्र (हथियार) पूजनीय थे क्योंकि उन्हें शक्ति, सुरक्षा और विजय का प्रतीक माना जाता था। शस्त्र न केवल शारीरिक सुरक्षा प्रदान करते हैं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का भी प्रतीक होते हैं। दशहरे के दिन, योद्धा और आम नागरिक दोनों ही अपने शस्त्रों की पूजा करके यह कामना करते हैं कि उनका जीवन समृद्ध, सुरक्षित और विजयपूर्ण हो।

शस्त्र पूजन के प्रमुख कारण:

1. धर्म और शास्त्रों का सम्मान: दशहरे के दिन शस्त्रों की पूजा करना धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान श्रीराम और देवी दुर्गा दोनों ही युद्ध के प्रतीक हैं, जिन्होंने अपने शस्त्रों से अधर्म का नाश किया। शस्त्र पूजन के माध्यम से हम उन दिव्य शक्तियों का आह्वान करते हैं।

2. आत्मरक्षा का प्रतीक: शस्त्र का उपयोग केवल हिंसा के लिए नहीं बल्कि आत्मरक्षा और न्याय की स्थापना के लिए किया जाता है। शस्त्र पूजन के द्वारा हम यह संकल्प लेते हैं कि शस्त्रों का उपयोग हमेशा धर्म और न्याय के लिए करेंगे।

3. शक्ति का प्रतीक: शस्त्र शक्ति का प्रतीक हैं और शक्ति की पूजा करने से हमें आत्मविश्वास और साहस प्राप्त होता है। दशहरे के दिन शस्त्र पूजन करने से व्यक्ति अपने अंदर छिपी हुई शक्ति को पहचानता है और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा पाता है।

 शस्त्र पूजन की विधि

दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का एक विशेष महत्व है, और इसे विधिपूर्वक करने से सकारात्मक ऊर्जा और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यहां शस्त्र पूजन की विधि विस्तार से दी जा रही है:

पूजन के लिए आवश्यक सामग्री:

 शस्त्र (जिन्हें पूजना है, जैसे तलवार, धनुष, बाण, गदा, त्रिशूल, आदि)

 ताजे फूल (गेंदे, गुलाब आदि)

 हल्दी, कुमकुम और चावल (अक्षत)

 दीपक, धूप और अगरबत्ती

 मिठाई या नैवेद्य (पकवान)

 नारियल

 पान, सुपारी और लौंग

 शुद्ध जल या गंगा जल

 एक साफ कपड़ा (शस्त्रों को साफ करने के लिए)

शस्त्र पूजन विधि:

1. शुद्धिकरण: सबसे पहले शस्त्रों को साफ और शुद्ध किया जाता है। शुद्ध जल से उन्हें धोया जाता है या साफ कपड़े से पोंछा जाता है।

2. स्वस्तिक का चिह्न: शस्त्र पर हल्दी और कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाया जाता है, जो शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है।

3. शस्त्रों की स्थापना: शस्त्रों को एक साफ स्थान पर रखा जाता है, और उनके चारों ओर रंगोली या अल्पना बनाई जाती है।

4. पुष्प अर्पण: शस्त्रों पर फूलों की माला चढ़ाई जाती है और ताजे फूल अर्पण किए जाते हैं।

5. दीप और धूप जलाना: शस्त्रों के सामने दीपक जलाया जाता है और धूप या अगरबत्ती से पूजा की जाती है।

6. नैवेद्य अर्पण: शस्त्रों को मिठाई या पकवान का भोग लगाया जाता है।

7. शस्त्रों का स्पर्श: पूजा के बाद, शस्त्रों का स्पर्श करते हुए श्रद्धा और सम्मान के साथ प्रणाम किया जाता है।

8. आरती: अंत में शस्त्रों की आरती की जाती है और उन्हें प्रणाम किया जाता है।

मंत्र:

पूजन के समय निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण किया जा सकता है:

"ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः।"

या

"ओम जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।  

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।।"

यह मंत्र शक्ति का आह्वान करते हैं और शस्त्रों में दैवीय ऊर्जा का संचार करते हैं।

विजयदशमी से मिलने वाले लाभ

विजयदशमी का पर्व कई दृष्टियों से लाभकारी माना जाता है। इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल शीघ्र प्राप्त होता है, और यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन किया गया शस्त्र पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और विजय का संचार करते हैं।

विजयदशमी से मिलने वाले प्रमुख लाभ:

1. अधर्म पर धर्म की विजय: विजयदशमी हमें यह संदेश देती है कि चाहे कितनी भी कठिनाई हो, अंततः सत्य और धर्म की ही जीत होती है। यह दिन हमें अपने जीवन में सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

2. साहस और आत्मविश्वास: शस्त्र पूजन से साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। व्यक्ति अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होता है।

3. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: इस दिन किए गए पूजन और अनुष्ठानों से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

4. कार्य में सफलता: विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन या किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। इस दिन आरंभ किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

5. रक्षा और सुरक्षा: शस्त्र पूजन करने से शस्त्रों की रक्षा और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। यह व्यक्ति को हर प्रकार के भय और संकट से बचाने में सहायक होता है।

6. धन और समृद्धि: इस दिन देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है, जिससे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

विजयदशमी और ज्योतिषीय लाभ

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विजयदशमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किए गए कार्य विशेष फलदायी होते हैं। विशेष रूप से शस्त्र पूजन से मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है, जो साहस, शक्ति और ऊर्जा का कारक है।

ज्योतिषीय लाभ:

मंगल ग्रह की अनुकूलता: शस्त्र पूजन करने से व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे साहस, उत्साह और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

शत्रु नाश: विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले संघर्षों से मुक्ति मिलती है।

धन और समृद्धि: शस्त्र पूजन के साथ ही लक्ष्मी पूजन करने से धन संबंधी समस्याओं का समाधान होता है और व्यक्ति के जीवन में धन की वृद्धि होती है।

नकारात्मक प्रभावों का नाश: विजयदशमी के दिन पूजाअर्चना करने से जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं का नाश होता है।

दशहरा का पर्व केवल बुराई पर अच्छाई की विजय का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम, शक्ति और सामर्थ्य को जागृत करने का भी पर्व है। शस्त्र पूजन के माध्यम से हम अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानते हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियों का साहस के साथ सामना करते हैं।

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जन्मकुंडली अनुसार नवरात्रि साधना और अनिष्ट ग्रहों का उपचार | Allso
जन्मकुंडली अनुसार नवरात्रि साधना और अनिष्ट ग्रहों का उपचार

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का अत्यधिक महत्व रखता है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के हर रूप की विशेष पूजा की जाती है। यह समय केवल आध्यात्मिक साधना का ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी एक अद्भुत अवसर होता है। जन्मकुंडली में अगर किसी जातक के ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो वे देवी दुर्गा की आराधना करके इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम कर सकते हैं। प्रत्येक ग्रह के लिए एक विशेष देवी की पूजा और मंत्र निर्धारित होते हैं, जो ग्रहों के दोषों को शांति प्रदान करने में सहायक होते हैं।

नवरात्रि और देवी दुर्गा की महिमा

नवरात्रि में माता के तीन रूपों की विशेष उपासना की जाती है:

1. महालक्ष्मी (पहले तीन दिन) – धन, समृद्धि और सुख की देवी।

2. महा सरस्वती (अगले तीन दिन) – ज्ञान, विद्या, और बुद्धि की देवी।

3. महा काली (आखिरी तीन दिन) – शक्ति और उग्रता का प्रतीक।

यहां, हम आपको जन्मकुंडली के अनिष्ट ग्रहों को शांत करने के उपाय और नवरात्रि साधना के दौरान की जाने वाली पूजा विधियों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

ग्रहों के अनिष्ट प्रभाव और देवी की उपासना

1. सूर्य ग्रह की अनिष्ट स्थिति का उपाय:

अगर आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में है, तो इससे स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिष्ठा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। सूर्य के दोषों को शांत करने के लिए नवरात्रि के दौरान मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए।

पूजा मंत्र:  

ह्रीं शिवायै नमः।  

मां शैलपुत्री की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जातक के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही, सूर्य से संबंधित दोषों में कमी आती है।

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2. चंद्रमा ग्रह की अशुभता का उपचार:

यदि चंद्रमा कुंडली में नीचस्थ या अशुभ फल दे रहा है, तो यह मानसिक अशांति, तनाव, और भावनात्मक अस्थिरता का कारण बन सकता है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

ऐं ह्रीं देव्यै नमः।  

मां कूष्मांडा की पूजा करने से चंद्रमा के दोषों का निवारण होता है और जातक को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

3. मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाव:

मंगल की अनिष्ट स्थिति से क्रोध, दुर्घटनाएं, और वैवाहिक जीवन में अशांति हो सकती है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना करें।

पूजा मंत्र:  

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः।  

मां स्कंदमाता की आराधना से मंगल के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और जातक के जीवन में शांति और स्थिरता आती है।

4. बुध ग्रह की अशुभता का उपाय:

बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से व्यापार, संचार, और आर्थिक मामलों में हानि हो सकती है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः।  

मां कात्यायनी की पूजा से बुध ग्रह के दोष दूर होते हैं और जातक को व्यापार और आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है।

5. गुरु ग्रह के दुष्प्रभाव से छुटकारा:

अगर गुरु ग्रह कुंडली में अशुभ स्थिति में है, तो यह शिक्षा, धार्मिकता और सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि का कारण बन सकता है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए।

पूजा मंत्र:  

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।  

मां महागौरी की उपासना से गुरु ग्रह के दोषों का निवारण होता है और जातक को ज्ञान, धर्म, और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

6. शुक्र ग्रह की अनिष्ट स्थिति का उपचार:

शुक्र की अशुभ स्थिति से वैवाहिक जीवन, भौतिक सुख, और धन में कमी हो सकती है। इसके निवारण के लिए नवरात्रि के दौरान मां लक्ष्मी की उपासना करें, जो शुक्र से संबंधित सभी दोषों को शांत करती हैं।

पूजा मंत्र:  

ॐ महालक्ष्म्यै नमः।  

मां लक्ष्मी की कृपा से शुक्र के दोष शांत होते हैं और जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएं और वैवाहिक जीवन की समस्याओं का निवारण होता है।

7. शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति:

शनि ग्रह की अशुभ स्थिति से नौकरी, व्यवसाय, और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शनि के दोषों को दूर करने के लिए नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।  

मां कालरात्रि की आराधना से शनि के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को जीवन में उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।

8. राहु ग्रह की अनिष्ट स्थिति का उपाय:

राहु के अशुभ प्रभाव से मानसिक अस्थिरता, अचानक दुर्घटनाएं, और धोखा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए।

पूजा मंत्र:  

ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः।  

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से राहु के दोष शांत होते हैं और जातक के जीवन में मानसिक शांति और सुरक्षा मिलती है।

9. केतु ग्रह के विपरीत प्रभाव से बचाव:

केतु के नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य, और अज्ञात भय का सामना करना पड़ सकता है। इसे शांत करने के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करें।

पूजा मंत्र:  

ऐं श्रीं शक्त्यै नमः।  

मां चंद्रघंटा की पूजा से केतु के दोष समाप्त होते हैं और व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

नवरात्रि साधना के लाभ

स्वास्थ्य लाभ: ग्रहों के अशुभ प्रभाव से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण होता है।

धन और समृद्धि: जीवन में आर्थिक समृद्धि और व्यापार में उन्नति होती है।

रिश्तों में सुधार: वैवाहिक जीवन और व्यक्तिगत संबंधों में मधुरता आती है।

सकारात्मक ऊर्जा: साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे उसका मानसिक संतुलन बना रहता है।

संकटों से मुक्ति: ग्रहों के दोषों से उत्पन्न संकट और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।

नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी की कृपा से हर प्रकार की बाधाओं का निवारण संभव होता है।

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नवरात्रि पर नैवेद्य और बीज मंत्र | Allso
नवरात्रि पर नैवेद्य और बीज मंत्र

नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की उपासना विशेष नैवेद्य और मंत्रों के साथ की जाती है। यहां प्रत्येक दिन के अनुसार बीज मंत्र और नैवेद्य का विवरण है:

प्रतिपदा तिथि: शुद्ध घी अर्पित करें।

मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:।

द्वितीय तिथि: शक्कर का भोग लगाकर दान करें।

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मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

तृतीया तिथि: दूध का दान करें।

मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

चतुर्थी तिथि: मालपुआ का नैवेद्य अर्पण करें।

मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:।

पंचमी तिथि: केले का नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

षष्ठी तिथि: मधु से पूजा करें।

मंत्र: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

सप्तमी तिथि: गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

अष्टमी तिथि: नारियल का भोग लगाएं।

मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

नवमी तिथि: काले तिल का नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

नवरात्रि के इस पावन अवसर पर देवी दुर्गा की उपासना से न केवल अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी लाई जा सकती है। उपरोक्त साधनाओं और मंत्रों का पालन करके आप अपनी जीवन की कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं। नवरात्रि का यह पर्व आपको सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाए। जय माता दी!

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मां ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के द्वितीय दिन की पूजा विधि, महात्म्य और पौराणिक कथा
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मां ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के द्वितीय दिन की पूजा विधि, महात्म्य और पौराणिक कथा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में से यह दूसरा स्वरूप अत्यंत पवित्र, शुद्ध और तपस्या का प्रतीक है। ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ होता है तपस्या या तपस्वी जीवन, और ‘चारिणी’ का अर्थ होता है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप संयम, साधना और अनुशासन का प्रतीक है। नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा उनके तपस्वी रूप की आराधना के रूप में की जाती है।

नवरात्रि के द्वितीय दिन क्या करना चाहिए?

द्वितीय नवरात्रि के दिन भक्तों को संयम, आत्मनियंत्रण और एकाग्रता का पालन करना चाहिए। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से साधक को जीवन के कठिन समय में धैर्य, शांति और शक्ति प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से मानसिक शांति और धैर्य को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा के साथ-साथ, इस दिन व्रत रखने और अपने आचरण को शुद्ध रखने का भी विशेष महत्व है।

कलश की पूजा और नवदुर्गा का आह्वान: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जो पूरे नवरात्रि के दौरान पूजनीय होती है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय कलश के सामने दीप जलाकर नवदुर्गा का आह्वान किया जाता है। दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्त के मन को शांति मिलती है।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और तपस्विनी है। वह दो हाथों वाली देवी हैं। उनके एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। जप माला उनके निरंतर ध्यान और साधना का प्रतीक है, जबकि कमंडल उनके तपस्वी जीवन और वैराग्य का संकेत देता है। इस स्वरूप से यह संदेश मिलता है कि आत्मसंयम, साधना और तपस्या जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा

मां ब्रह्मचारिणी का पूर्व जन्म की कथा भी देवी सती से जुड़ी हुई है। अपने पिछले जन्म में, मां सती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। यह तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल फल और फिर केवल पत्तों पर ही अपना जीवन बिताया। अंततः उन्होंने पानी तक का त्याग कर दिया। उनकी कठोर तपस्या से सभी देवता और ऋषि-मुनि प्रभावित हुए। उनके इस तपस्वी जीवन के कारण ही उन्हें 'ब्रह्मचारिणी' कहा गया।

उनकी तपस्या की यह कथा प्रेरणादायक है और यह संदेश देती है कि संकल्प, धैर्य और तपस्या से किसी भी कठिन कार्य को सिद्ध किया जा सकता है। उनकी साधना और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यह कथा हमें जीवन में धैर्य और समर्पण का महत्व सिखाती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि में विशेष रूप से शुद्धता और संयम का ध्यान रखा जाता है। पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।

मां को सफेद रंग के फूल अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है।

उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी के ध्यान और तपस्या का स्मरण करते हुए उनके इस मंत्र का जाप करें:

मंत्र:

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।

इस मंत्र का जाप करने के बाद मां ब्रह्मचारिणी को फल, मिश्री और पंचामृत का भोग अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और उन्हें अपनी साधना और तपस्या से प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना साधक के जीवन में संयम, शक्ति और अनुशासन का संचार करती है। उनकी कृपा से साधक को तपस्वी जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।

जो लोग जीवन में मानसिक अशांति या अव्यवस्था का अनुभव कर रहे होते हैं, उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में संतुलन और धैर्य की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महात्म्य

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत साधारण होते हुए भी अद्वितीय तपस्विनी है। उनका तप और साधना यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या और संकल्प आवश्यक हैं।

उनके तपस्वी स्वरूप का दर्शन भक्तों को यह प्रेरणा देता है कि भौतिक सुखों की चाह छोड़कर, ईश्वर की उपासना और ध्यान में लीन होना ही सच्चा आनंद है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

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मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के विशेष स्तोत्र

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना में निम्नलिखित स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र मां ब्रह्मचारिणी के गुणों और महिमा का वर्णन करता है और साधक को मानसिक शांति और आत्मशक्ति प्रदान करता है।

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लाभ

स्वास्थ्य: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। जो लोग मानसिक तनाव या अवसाद का सामना कर रहे होते हैं, उनके लिए मां की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

धन और वित्त: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है, जिससे वित्तीय समस्याओं का समाधान होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिलती है।

व्यापार: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यापार में सफलता और वृद्धि होती है। उनकी कृपा से व्यवसाय में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और व्यापार में स्थिरता प्राप्त होती है।

शिक्षा: विद्यार्थी वर्ग के लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके आशीर्वाद से छात्रों को पढ़ाई में एकाग्रता और धैर्य मिलता है, जिससे वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।

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वास्तु: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से घर और कार्यस्थल का वास्तु दोष दूर होता है और वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

वैवाहिक जीवन और प्रेम: मां ब्रह्मचारिणी की उपासना वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में सामंजस्य और प्रेम बनाए रखने में सहायक होती है। उनकी कृपा से जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर और स्थिर रहते हैं।

भविष्य की योजना और अध्ययन: जो लोग अपने भविष्य के लिए अध्ययन कर रहे हैं या किसी विशेष योजना पर काम कर रहे हैं, उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

नवरात्रि का द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा विधि, तपस्या और कथा का स्मरण हमें जीवन में धैर्य, संयम और आत्मसंयम के महत्व को सिखाता है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से जीवन में संतुलन, शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और धैर्य प्राप्त होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।

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मां शैलपुत्री: नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजा विधि, महात्म्य और कथा
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मां शैलपुत्री: नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजा विधि, महात्म्य और कथा

नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री की उपासना के लिए समर्पित होता है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में मां शैलपुत्री प्रथम रूप हैं। उनका यह स्वरूप अत्यंत शांतिपूर्ण और दिव्य है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। यह दिन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मां शैलपुत्री की उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।

नवरात्रि के प्रथम दिन क्या करना चाहिए?
नवरात्रि का आरंभ करने से पहले भक्तों को शुद्धता और पवित्रता का पालन करना चाहिए। दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना अत्यंत आवश्यक होता है। यह कलश देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इससे पूरे नवरात्रि की पूजा विधि शुरू होती है।

कलश स्थापना विधि

सबसे पहले एक शुद्ध ताम्बे या मिट्टी के कलश को लें और उसमें गंगाजल भरें।
कलश के ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें।
कलश को चावल के ढेर पर रखें और उसमें दूब, सिक्का और सुपारी डालें।
इस कलश की पूजा करें और दीपक जलाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने स्थापित करें।
कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा विधि शुरू की जाती है। सफेद फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित कर मां की आराधना की जाती है।

मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, दिव्य और सौम्य होता है। वे वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं और उनके दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। त्रिशूल उनके शक्ति और साहस का प्रतीक है, जबकि कमल का पुष्प पवित्रता और शांति का संकेत देता है। मां शैलपुत्री के इस स्वरूप को देखकर यह समझा जा सकता है कि वह भक्तों को संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं, जिसमें शक्ति और करुणा का संतुलन हो।

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
मां शैलपुत्री के जन्म की कथा पुराणों में विस्तार से बताई गई है। उनके पूर्व जन्म की कहानी देवी सती से जुड़ी हुई है, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं और भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को उसमें आमंत्रित नहीं किया। जब सती को इस अपमान का पता चला, तो वह अत्यंत दुखी हुईं और अपने पिता के यज्ञ में बिना निमंत्रण के पहुंचीं। यज्ञ में भगवान शिव का अपमान देखकर सती ने आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मीं और उन्हें शैलपुत्री कहा गया।

मां शैलपुत्री ने कठिन तपस्या के बाद पुनः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। यह कथा दर्शाती है कि मां शैलपुत्री आत्मशक्ति, संकल्प और धैर्य की देवी हैं। उनके इस रूप की उपासना से साधक को जीवन में सभी कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्त को शुद्धता और नियम का पालन करना चाहिए। पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र पहनाएं, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
मां को सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली या मोगरे के फूल अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को घी से बनी मिठाई या खीर का भोग अर्पित करें।

मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें
मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व है। उनका आशीर्वाद जीवन में स्थिरता, मानसिक शांति और सफलता लाता है। विशेष रूप से जो लोग मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए मां शैलपुत्री की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
भक्तों का मानना है कि मां शैलपुत्री की कृपा से सभी दुखों और बाधाओं का अंत होता है और व्यक्ति को जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की उपासना के लिए विशेष स्तोत्र

मां शैलपुत्री की उपासना में विशेष स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र मां की महिमा और गुणों का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद से साधक को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। स्तोत्र का पाठ करने से साधक के जीवन में सकारात्मकता का प्रवाह होता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री स्वरूप की उपासना विधि
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना के दौरान निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:

प्रातः स्नान के बाद मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित करें और सफेद फूलों से उनकी पूजा करें।
धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस दौरान मां शैलपुत्री के इस मंत्र का जाप करें
मंत्र

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
इस मंत्र का जाप नवरात्रि के प्रथम दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे साधक को आत्मशक्ति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ: स्वास्थ्य, धन, व्यापार, शिक्षा और प्रेम जीवन

स्वास्थ्य: मां शैलपुत्री की उपासना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से शरीर में ऊर्जा और मन में शांति का अनुभव होता है। जो लोग लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए मां शैलपुत्री की उपासना विशेष लाभकारी मानी जाती है।

धन और वित्त: मां शैलपुत्री की पूजा से साधक के जीवन में धन और समृद्धि का प्रवाह होता है। जो लोग आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, उनके लिए मां की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

व्यापार: मां शैलपुत्री का आशीर्वाद व्यापार में सफलता और समृद्धि लाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां की आराधना करने से व्यापार में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं और व्यवसाय में वृद्धि होती है।

शिक्षा: मां शैलपुत्री की उपासना से विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता मिलती है। जो विद्यार्थी अपने भविष्य के अध्ययन के लिए मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, उन्हें हर परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है।

वास्तु: मां शैलपुत्री की पूजा से घर का वास्तु दोष भी दूर होता है। उनका आशीर्वाद घर में शांति, प्रेम और सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है। वैवाहिक जीवन और प्रेम: मां शैलपुत्री की उपासना वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में आने वाली बाधाओं को दूर करती है। उनके आशीर्वाद से दांपत्य जीवन में सुख, प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।

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नवरात्रि  12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग  4 ऑफ पेंटाकल्स कार्ड 4-10-2024
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नवरात्रि 12 राशियों के लिए टैरो कार्ड रीडिंग 4 ऑफ पेंटाकल्स कार्ड 4-10-2024

पुरवी रावल एक प्रसिद्ध टैरो कार्ड रीडर हैं, जिनके पास 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। अपने सटीक और गहन रीडिंग्स के लिए जानी जाती हैं, पुरवी रावल कई सेलिब्रिटी और व्यक्तियों के लिए एक विश्वसनीय मार्गदर्शक हैं, जो आध्यात्मिक दिशा की तलाश में हैं। एक अंतरराष्ट्रीय टैरो रीडर और भारत की ब्रांड एंबेसडर के रूप में, वह अपने अनुभव के साथ एक करुणामयी दृष्टिकोण को जोड़ती हैं।

4 ऑफ पेंटाकल्स टैरो कार्ड संपत्ति, सुरक्षा, और नियंत्रण की स्थिति का प्रतीक है। नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर, यह कार्ड संकेत करता है कि सभी राशियों को इस समय अपने संसाधनों को सुरक्षित रखने, बचत करने और अपनी संपत्ति का संरक्षात्मक ढंग से उपयोग करने पर ध्यान देना चाहिए। यह समय आपको सावधानीपूर्वक योजना बनाने और अपनी संपत्ति या ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की प्रेरणा देगा। आइए जानते हैं कि 4 ऑफ पेंटाकल्स का प्रत्येक राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा:

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1. मेष (Aries)  

4 ऑफ पेंटाकल्स मेष राशि के जातकों को अपनी वित्तीय स्थिति पर ध्यान देने का संकेत देता है। आप अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखना चाहेंगे, लेकिन इस नवरात्रि में आपको दान और साझा करने पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि ऊर्जा का संतुलन बना रहे।

2. वृषभ (Taurus)  

वृषभ राशि के लिए 4 ऑफ पेंटाकल्स स्थिरता और सुरक्षा का संकेत देता है। आप अपने संसाधनों पर नियंत्रण रखना चाहेंगे, लेकिन नवरात्रि में यह संकेत भी है कि आपको थोड़ी उदारता दिखानी चाहिए। संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा।

3. मिथुन (Gemini)  

मिथुन राशि के जातक इस नवरात्रि में अपनी वित्तीय और व्यक्तिगत सीमाओं को स्थिर रखना चाहेंगे। यह कार्ड इंगित करता है कि आपको अपने धन और ऊर्जा को सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन कभी-कभी अपनी सोच में लचीलापन भी जरूरी है।

4. कर्क (Cancer)  

कर्क राशि के जातक अपनी भावनात्मक और भौतिक सुरक्षा की चिंता कर सकते हैं। 4 ऑफ पेंटाकल्स इंगित करता है कि आपको अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है, लेकिन आत्मरक्षा की स्थिति में अति न करें।

5. सिंह (Leo)  

सिंह राशि के जातकों के लिए 4 ऑफ पेंटाकल्स यह बताता है कि आपको अपनी संपत्ति या किसी विशेष स्थिति को नियंत्रण में रखने की इच्छा हो सकती है। इस नवरात्रि, आपको अपनी इच्छाओं और संसाधनों का संतुलित तरीके से उपयोग करना चाहिए।

6. कन्या (Virgo)  

4 ऑफ पेंटाकल्स कन्या राशि के लिए वित्तीय स्थिरता की दिशा में संकेत करता है। आप अपने संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, लेकिन इस दौरान अपनी उन्नति के लिए उन्हें सही तरीके से प्रबंधित करना भी आवश्यक है।

7. तुला (Libra)  

तुला राशि के लिए 4 ऑफ पेंटाकल्स का अर्थ है कि आप अपने जीवन में स्थिरता और सुरक्षा लाने के लिए प्रयासरत हैं। नवरात्रि के दौरान आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अधिक नियंत्रण की कोशिश न करें और सामंजस्य बनाए रखें।

8. वृश्चिक (Scorpio)  

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह समय खुद को आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से संरक्षित करने का है। 4 ऑफ पेंटाकल्स इंगित करता है कि आपको अपने संसाधनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, लेकिन अत्यधिक कंजूसी से बचें।

9. धनु (Sagittarius)  

धनु राशि के लिए 4 ऑफ पेंटाकल्स यह संकेत देता है कि आपको अपनी आर्थिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और लंबी अवधि के लिए बचत की योजना बनानी चाहिए। आपको अपनी उदार प्रवृत्ति को संतुलित करने की जरूरत है।

10. मकर (Capricorn)  

मकर राशि के लिए 4 ऑफ पेंटाकल्स स्थिरता और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। यह समय आपको सिखा रहा है कि अपने संसाधनों को संभाल कर रखें और सोच-समझकर निर्णय लें। नवरात्रि में आत्मविश्वास के साथ अपने कदम बढ़ाएं।

11. कुंभ (Aquarius)  

कुंभ राशि के जातकों के लिए यह समय सावधानी से अपने आर्थिक संसाधनों और विचारों का प्रबंधन करने का है। 4 ऑफ पेंटाकल्स संकेत करता है कि आपको अपने संसाधनों का अधिक उपयोग किए बिना उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए।

12. मीन (Pisces)  

मीन राशि के लिए 4 ऑफ पेंटाकल्स संकेत करता है कि आपको अपनी वित्तीय स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने और अपने खर्चों को संभालने की जरूरत है। नवरात्रि के दौरान यह संतुलन बनाना आवश्यक होगा ताकि आप अधिक चिंतित न हों।

नवरात्रि 2024 के दौरान, 4 ऑफ पेंटाकल्स टैरो कार्ड सभी 12 राशियों के लिए वित्तीय सुरक्षा, स्थिरता, और नियंत्रण की आवश्यकता को उजागर करता है। यह आपको याद दिलाता है कि संसाधनों और ऊर्जा को ध्यानपूर्वक प्रबंधित करें और संतुलन बनाए रखें। इस पावन समय का उपयोग करें, ताकि आप अपनी सुरक्षा और स्थिरता के लिए ठोस कदम उठा सकें।

व्यक्तिगत टैरो रीडिंग और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए, पुरवी रावल से संपर्क करें, जो 10 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ टैरो के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम हैं।

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Venus Transit in Taurus 2024
View's: 173 By: Acharya Parijat
Venus Transit in Taurus 2024
Venus or Shukra is associated with beauty, love and luxury/ comfort. This is the brightest planet among the all planets. This time Venus is transit in Taurus sign, which is ruled by Venus itself. Transit date and time: Date - May 19, 2024 Time - 8:29 A.M (Sunday)
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